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जब जब हैं आतंकी आये

बिल में चूहे सा घुस जाये  

खो जाए उसकी आवाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज! 

______________________

नाम जपे नित भाईचारा.

भाई को ही समझे चारा 

ऐसे झपटे जैसे बाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज! 

______________________

प्लेटफार्म पर सदा घसीटे

मारे दौड़ा दौड़ा पीटे

इम्तहान क्या दोगे आज

क्या सखि पोलिस ? नहिं सखि राज !

_______________________

चलती जिसकी अज़ब गुंडई 

कहे, निकल ले, छोड़ मुम्बई

उठा-पटक जिसका अंदाज़

क्या सखि सत्ता? नहिं सखि राज !

_______________________

खुराफात में जिसका है मन

जिसका उत्तर भारत दुश्मन

दबंगई नित जिसका काज

क्या सखि भाई? नहिं सखि राज !

______________________

लगता है थोड़ा सा खिसका

खानदान सिरफिरा है जिसका

क्षेत्र-वाद का छेड़े साज 

क्या सखि गोरा? नहिं सखि राज ! 

______________________

वैसे तो वह बना कसाई

फिर भी है अपना ही भाई

दें सद्बुद्धि जिसे प्रभु आज

क्या सखि जालिम? नहिं सखि राज !

_______________________

--अम्बरीष श्रीवास्तव

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Comment

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Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 24, 2012 at 5:21pm

आदरणीय अलबेला जी,  बहुत खूबसूरत कह मुकरी रची है आपने .....बधाई मित्र ....

सब हैं गाने को पाबन्द             = १५ मात्रा चलेगी
असलम, एंथनी या अरविंद     = १६ मात्रा /पर प्रवाह बाधित है | सुझाव: "असलम रोजी या अरविन्द"= १५ मात्रा

हो बीवी या हो खाविंद             = १५ मात्रा चलेगी.......................सुझाव : गाये बीवी या खाविंद            = १५ मात्रा
ऐ सखि गाना ? नहिं जयहिंद!= १५ मात्रा चलेगी

सादर   ...जय हिंद !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 24, 2012 at 10:01am

आदरणीय अम्बरीश जी, सादर अभिवादन.

बज रहे थे  सुन्दर राग 

था बहुत प्रेम अनुराग

कौवा कोयल सा कूका

लगाता  रहता हर दम आग

क्या भाई आतंकी ? नहीं भाई राज.

बधाई.

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 9:57am

भाईजी, आपके जयहिंद  को मेरा जयहिंद !

सब हैं गाने को पाबन्द
असलम, एंथनी या अरविंद
हो बीवी या हो खाविंद
ऐ सखि गाना ? नहिं जयहिंद ! 

___इसमें  अन्तिम  पंक्ति में १५ मात्रा चलेगी ?  नहिं चले तो कृपया सुधार करें
सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 24, 2012 at 9:46am

वाह आदरणीय अलबेला जी वाह .......निर्दोष कह मुकरी के माध्यम से एकदम  सत्य कहा आपने ....आदरणीय सौरभ जी के प्रेम, स्नेह, ज्ञान व समर्पण के आगे हमारे आपके साथ-साथ ओबीओ के सभी सदस्य भी  नतमस्तक हैं .............जय हो जय हो आदरणीय ....जय ओ बी ओ ....जय हिंद

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 9:42am

आपको नमन करते हुए एक और.........

मधुर मधुर है उनकी भाषा
सबके मन की वे  अभिलाषा
उनके आगे मैं नत शीश
ऐ सखि सौरभ ? नहीं अम्बरीश

___सादर भाई जी.........

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 24, 2012 at 9:40am

अनुमोदन के लिए धन्यवाद आदरेया राजेश कुमारी जी ! जय ओ बी ओ ! जय हिंद !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 24, 2012 at 9:34am

वाह आदरणीय अलबेला जी वाह ..........क्या निर्दोष और तुरंता कह-मुकरी कही है .....हार्दिक बधाई मित्र ...

लीजिए एक उपहार हमारी ओर से भी .....

रोज रात्रि में मंच जमाते

ओबीओ पर हमें हँसाते

ले जो पंगा वो है झेला

ऐ सखि! साजन ?नहिं अलबेला |

सादर

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 9:24am

जय हो जय हो अम्बर जी
आपके लिए कुछ भी कहना सूरज को  मोमबत्ती दिखाने वाली बात है ..लेकिन  एक कह-मुकरी  तो कुबूल कर ही लीजिये.............

कविता के वो कारीगर हैं
शब्द शिल्प के बाज़ीगर हैं
सौ में सौ हैं उनके नम्बर
ऐ सखि साजन ?  नहिं सखि अम्बर  

___सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 24, 2012 at 9:17am

जय हो जय हो आदरणीय अलबेला जी .....एक कह मुकरी आपके प्रति ..........

क्षण-क्षण में वह हमें हँसाये

पल-पल प्रमुदित मन कर जाये

लग जाये खुशियों का मेला

ऐ सखि! साजन ?नहिं अलबेला |

सादर

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 9:05am

इस विस्तृत  जानकारी  का बड़ा लाभ हुआ  और होगा . जिनके मन में भी कह-मुकरी  को लेकर मात्रा सम्बन्धी  कोई प्रश्न होंगे  तो वह अब  अपना उत्तर पा गये हैं

धन्यवाद आदरणीय अम्बरीश जी..........
सादर

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