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(सर चकराए)

राधे माँ के लटके झटके
नित्यानंद के देखो नखरे
निर्मल बाबा के अजीब उपाय
देख के भईया सर चकराए
बाबाओं की गजब कमाई
अपार दौलत शोहरत पायी
गरीब तलाशता गोबर में दाना
बाबाओं नें लुटिया डुबाई
साधू नहीं यह स्वादु हैं
भोली जनता इनकी बाजू हैं
मृदुवाणी से बस में करते है
और झोलियाँ अपनी भरते हैं
कोई तन लूटे कोई मन लूटे
सब धन लूटे चुपचाप
उनकी चिकनी चुपड़ी बातों से
हो रहे हम बर्वाद
यह बाबा फसल बटेरे हैं
अधिक्तर यह तो लुटेरे हैं
आलिशान बँगले,महँगी गाड़ियाँ
फाईवस्टार इनके डेरे हैं
ओ-मेरे भारतवासियों सुनो
इन चेले चपाटों से दूर रहो
अपने बाजूओं के दम पे जिओ
आँख मूँद के न विश्वास करो
----------


चेतावनी


श्री राम चन्द्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा........
हँस चुगेगा दाना दुनका का
कौवा मोती खाएगा........

मित्रो वह कलयुग,घोर कलयुग,महाघोर कलयुग आ चुका है संभल जाओ..........वर्ना बर्वादी दूर नहीं...मध्य प्रदेश में बच्चे गोबर से अपना भोजन तलाशने को मजबूर है वहीँ दूसरी तरफ इन बाबाओं के ऐश -ओ-आराम आपके सामने ही है I

दीपक 'कुल्लुवी'
13 जून 2012

Views: 451

Comment

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Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 14, 2012 at 5:09pm

दीपक जी सादर नमस्कार ! आज के धर्मभीरु समाज में जहां परेशानियों का निराकरन मेहनत और सूझबूझ से न करके शॉट कट रास्ते से किया जाता है तो वहाँ बाबाओं की ही तो दूकान चलेगी.....अच्छा तंज़ किया है आपने इस रचना के माध्यम से। धन्यवाद !

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 1:10pm

nanga sach kahne ke liye  aapko laakh laakh abhinandan

bahut khoob..........waah !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 14, 2012 at 11:25am

आदरणीय दीपक बाबा 

कर जोर  करता प्रणाम

हिस्से में क्या गडबड हो गयी

काहे  करते  है बाबा को बदनाम

धंधा सब का एक सामान 

नेता हों या  व्यापारी  

करते हैं यही काम 

बधाई 

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 14, 2012 at 12:03am

कोई बाबा निर्मल नहीं

सब मन के बड़े मैले हैं ,

दौलत के ढेर पर बैठे

ये ठग बड़े लुटेरे हैं , चलिए आपसे कन्फर्म हो गया | बधाई |

कृपया ध्यान दे...

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