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मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है
मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

कभी बन आँखों में आँसू
कभी बन दिल में कसक
रातों को जगाने सपनों में
मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

मैं अपने गाँव का, गाँव मेरा है
उसके सपने सारे सपने मेरा है
होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है
मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

मैं अपने गाँव को सम्हालूँगा
मैं अपने सपनों को फिर से सजाऊंगा
टूटा हुआ तारा हूँ मैं जिस गाँव का
फिर से वहीं पे जाके जुड़ने को जाऊँगा

बसाया तो मैंने भी सपनों का सुंदर शहर
सब कुछ पाया गाँव नहीं भूल पाया मगर
जहाँ मैंने कदम पहला-पहला रखा
चलने से पहले जिस मिट्टी को चक्खा

तोतली बोली को मेरे सुना जहाँ सबने
सुनने को जाउँगा उन सबके मैं सपने

होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है
मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

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Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 6, 2012 at 9:13pm

आपका हार्दिक धन्यवाद, AVINASH S BAGDE जी.

Comment by AVINASH S BAGDE on June 6, 2012 at 7:28pm

उसके सपने सारे सपने मेरा है 

होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है 

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है...wah!"manu"bhai...sunder yade...

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