For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिन्दगी समझौता ही सही

जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।
स्नेह, प्रेम, मर्यादा की
लहराती बयार है।
गम नहीं गर पूरी नहीं
होती, मेरी पुकार है।

जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।

उठते ही रसोई से समझौता,
यही तो जीवन की खुषियों का द्वार है।
बिजली, पानी, सफाई से समझौता
नियमित ही होते इनसे दो चार हैं।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।

कार्यालय पहुँचते ही काम से समझौता,
इसमें जीविका के संचालन का सार है।
साथियों, कर्मचारियों, प्रबंधक से समझौता
इसमें कर्म की प्रगति के आसार है।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।

बस की लंबी कतार से समझौता
यही तो असली संसार है।
रास्ते में यातायात से समझौता
इसमें सुरक्षा और सदाचार है।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।

बच्चों की फरमाइष से समझौता
हर माँ-बाप की तरह हम भी मजबूूर हैं।
पति और पड़ौसी की षिकायत से समझौता,
वे बेकसूर हैं, हम मषहूर हैं।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।

टीवी, टेप और रेडियो से समझौता,
कम्प्यूटर भी खुद में मगरूर है।
इन्टरनेट की स्पीड भी एक समझौता है
यही अब व्यापार का आधार है।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।

नाते, रिष्ते और पड़ौसी भी समझौता है।
यही तो जीवन का व्यवहार है।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Trivedi on September 24, 2010 at 11:20pm
समझौता जब बोज बन जाएं तो जीना हराम हो जाता है, मगर जब उनसे प्यार ही है तो समझौता भी खुशहाल रखता है |
Comment by Rash Bihari Ravi on September 23, 2010 at 6:15pm
manmohak khubsurat sandar,

कार्यालय पहुँचते ही काम से समझौता,
इसमें जीविका के संचालन का सार है।
साथियों, कर्मचारियों, प्रबंधक से समझौता
इसमें कर्म की प्रगति के आसार है।
जिन्दगी समझौता ही सही
पर मुझे उससे प्यार है।
Comment by rajni chhabra on September 23, 2010 at 1:06am
aaj ki zindagi ka steek chitrn hai

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 22, 2010 at 10:57pm
बहुत खूब जाया बहन , आपने इस खुबसूरत रचना मे सिद्ध कर दिया कि जिन्दगी एक समझौता है, बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
4 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service