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Jaya Sharma's Blog (6)

भर जाएगा मेरा समंदर . . . .

हाँ तुमने ही तो किया था वादा,

मेरा समंदर भर दोगे।

जाने किस - किस से तुमने,

माँगा इसके लिए स्नेह।

पर अब भी रीता है,

मेरा समंदर, अधभरा . . .

उजली आँखों से निहारता,

टकटकी लगाए देखता।

शायद तुम अभी भी,

भरने को उत्साहित हो।

मांग लो किसी प्रेमी से,

थोड़ा और स्नेह।

न दे तो छीनो, मिटा दो,

प्रेम की बसती किसी की दुनिया।

उजाड़ दो किसी का घर,

और भर दो मेरा समंदर।

चाहे उसमें प्रेम की जगह,

किसी की खुशियों की दाह हो।

हाँ…

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Added by Jaya Sharma on November 1, 2010 at 6:00am — 2 Comments

जिन्दगी समझौता ही सही

जिन्दगी समझौता ही सही

पर मुझे उससे प्यार है।

स्नेह, प्रेम, मर्यादा की

लहराती बयार है।

गम नहीं गर पूरी नहीं

होती, मेरी पुकार है।



जिन्दगी समझौता ही सही

पर मुझे उससे प्यार है।



उठते ही रसोई से समझौता,

यही तो जीवन की खुषियों का द्वार है।

बिजली, पानी, सफाई से समझौता

नियमित ही होते इनसे दो चार हैं।

जिन्दगी समझौता ही सही

पर मुझे उससे प्यार है।



कार्यालय पहुँचते ही काम से समझौता,

इसमें जीविका के संचालन का सार… Continue

Added by Jaya Sharma on September 22, 2010 at 2:04pm — 4 Comments

प्रेम का पर्याय है दोस्ती : जया केतकी

दोस्ती, एक ऐसा शब्द इसे जितना परिभाषित करने का प्रयास करो उतना विस्तार पाता है। पर न तो इसमें उलझन हैं और न ही किसी प्रकार के विरोधाभास का डर रहता है। अगर आपकी मित्रता पक्की है तो उससे अच्छा कोई अन्य रिश्ता नहीं। सदियों की विचारधाराओं के सम्मिश्रण से तैयार निष्कर्ष से यह पता चलता है कि समाज के हर वर्ग में दोस्ती की जितनी भी मिसालें हैं सभी यही कहती हैं। मसलन कृष्ण-सुदामा की मित्रता, मित्रता का दायरा परिभाषित नहीं है, फिर भी मित्रता करते समय यह विचार अवश्य ही कर लेना चाहिए कि आपकी मित्रता… Continue

Added by Jaya Sharma on September 2, 2010 at 7:30am — 4 Comments

जन्माष्टमी पर विशेष : नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की

जन्माष्टमी पर विशेष : नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की

मथुरा में कंस की दुष्टता दिनों-दिन बढ़ती जा रही थी। उसके अत्याचारों से त्रस्त जनता भगवान से नित्य प्रार्थना करने लगी। एक दिन आकाशवाणी हुई कि देवकी और वसुदेव की आठवी संतान कंस का सर्वनाश करेगी। इसके बाद कंस ने देवकी और वसुदेव को करागार में बंदी बना कर रख दिया। अब उनकी जो भी संतान होती उसे कंस मार डालता। परन्तु देवकी और वसुदेव ने यह निश्चय कर लिया था। कि वे अपनी आठवी संतान को जरुर बचायेंगे।… Continue

Added by Jaya Sharma on September 1, 2010 at 8:30am — 5 Comments

15 अगस्त पर विशेष

(15 अगस्त पर विशेष)



हर प्राचीर पर लहराता तिरंगा भारत की स्वतंत्रता की गाथा को दोहरा रहा है। स्वतंत्र्ाता सबको मिले। हमें बहुत कुछ मिला है। लेकिन क्या यह बहुत कुछ हम सभी भारतवासियों ने पाया है? मिलने और पाने में बहुत अंतर है।



देश में दो बार परमाणु परीक्षण किए गए तो बाबरी मस्जिद का विध्वंस और उसके बाद देश भर में फैली हिंसा ने भी हमें यह सोचने पर विवश किया कि क्या साम्प्रदायिकता के आधार पर देश के विभाजन के बाद भी हमने इससे कोई सबक लिया? गुजरात में साम्प्रदायिक हिंसा देश झेल… Continue

Added by Jaya Sharma on August 13, 2010 at 5:02pm — 6 Comments

आदिकाल से रक्षा कर रहे हैं: नाग देवता

आदिकाल से रक्षा कर रहे हैं: नाग देवता

;समृद्धि का प्रतीक नागपंचमीद्ध

- जया केतकी

श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि नागपंचमी का त्यौहार सर्पाे को समर्पित है। इस त्योहार पर व्रत पूर्वक नागों की पूजा होती है। नागों का मूलस्थान पाताल लोक है। वेद-पुराणों में नागों का अस्तित्व महर्षि कश्यप और कद्रू से माना जाता है। पुराणों में ही नागलोक की राजधानी भोगवती पुरी है। विष्णु की शय्या की शोभा शेषनाग बढ़ाते हैं। भगवान शिव और गणेशजी के अलंकरण में भी नागों की मह्त्त्वपूर्ण भूमिका है।…

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Added by Jaya Sharma on August 13, 2010 at 4:18pm — 4 Comments

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