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भक्षक (लघु कथा )

 साहब मेरी बेटी कहाँ है ?हरिया ने हाथ जोड़कर स्थानीय   थाने में बैठे दरोगा से गिड़ गिडाते हुए पूछा |अब होश आया तुझे दो दिन हो गये तेरी बेटी को नहर से निकाला था,हाँ आत्महत्या का प्रयास करने से पहले तेरे पास भी तो आई थी अपनी  ससुराल वालो के अत्याचार का दुखड़ा रोने करी थी क्या तूने उसकी  मदद ,अब आया बेटी वाला |आत्म हत्या भी जुर्म है केस चलेगा अभी लाकअप में बंद है कल आना वकील के साथ लिखत पढ़त करके छोड़ देंगे|पर साहब इन कोठरियों में तो दिखाई नहीं !!!उसकी बात पूरी होने से पहले ही दरोगा ने पास खड़े सिपाही से कहा इसे बाहर तो छोड़ के आ | फिर दूसरे सिपाही को बुलाकर धीरे से  बोला जा  पीछे के दरवाजे से लाकर उसे लाकअप  में डाल दे |येस सर कह कर फिर ठिठकते हुए धीरे से  सिपाही बोला सर अपने घर की चाबी तो दे दीजिये पहले !!!       

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2012 at 10:30pm
बहुत बहुत आभार गणेश जी उस त्रुटी को अवगत करने के लिए अब ठीक कर दी है 



मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 29, 2012 at 10:09pm

//हाँ आत्महत्या से पहले तेरे पास भी तो आई थी अपनी  ससुराल वालो के अत्याचार का दुखड़ा रोने, करी थी क्या तूने उसकी  मदद ?//

आदरणीया एक तकनिकी त्रुटी की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा......आपने लिखा की आत्महत्या से पहले ...मतलब यहाँ साफ़ है कि उसने आत्महत्या कर ली है ....जबकि आगे कहानी पढने से पता चलता है कि उसने आत्महत्या का प्रयास कि थी |

प्लाट बढ़िया है, अदायगी कमजोर है, कसने कि जरुरत है, प्रयास पर आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2012 at 9:48pm

जी हाँ जवाहर लाल जी गरीब आदमी का तो भगवान् भी साथ नहीं देता कभी कभी |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 29, 2012 at 9:37pm
रक्षक ही बने भक्षक वहां किससे करें उम्मीद और गरीब आदमी का तो......

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2012 at 2:04pm

बहुत बहुत  आभार प्रदीप कुमार सिंह जी कहानी के मर्म से रूबरू होने पर |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 1:47pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन
मानवता की छाती पर कील ठोंकती घटना . दिल में घर कर gayi. badhai.

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