For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत का भविष्य बनाना है.

जहाँ में फैली भूख गरीबी 
भ्रष्टाचार  एक  महामारी है 
फलता फूलता था धर्म  जहाँ  
वहां आन बसे व्यभिचारी  हैं 
सरे बाजार लुटती अस्मत अब 
लूट  घसीट  के ये बड़े पुजारी हैं 
छीन निवाला भरें पेट आपना  
न कोई चिंता न शर्मसारी है 
जिस कोख से इनने जनम  लिया 
जिस धरती ने  पोसा पाला है 
क्यों भूल गए ये  माँ का  ऋण
दुष्कर्मों से मुंह किया क्यों काला है 
नोच रहे जन जन  का तन श्वेत वस्त्र 
मीठी वाणी पीछे पीठ  भोंकते  भाला हैं 
रोये शिशु चाहें सिसके नर नारी अब 
अंक में साकी अधरों से लगी जो हाला है 
अपना दोष न देखे हम 
 धरम धरम चिल्लाते हैं 
दूहें चलनी में अपने करम 
दोषी क्यों उन्हें ठहराते  हैं 
आदत जो पड़ी है मांगन  की 
भिखारी बन दर दर भटकते हैं 
ली  है हाथों  में खुद बैसाखी 
जहाँ में बने अपाहिज फिरते  हैं  
बंद आँखों में  खाली देखते सपना  
भूल तुम्हारी ये बड़ी भारी  है 
जग जूठा झूठे  नाते बंधन  
इस धरा पर   कोई अपना हैं  
मसीहा तो कब का दफन हो चुका   
मगर मसीहा अब भी यहाँ  फिरते हैं
करेंगे उद्दधार  तुम्हारा हम 
आओ शरण मेरी का दम भी  भरते हैं  
बात दीगर ये जानो अब तुम  
बदले  रूप में हाजिर मौत के मसीहा हैं 
सोये  पड़े क्यूँ  जागो तुम अब  
तुम्ही में बसे  दुर्गा राम और कन्हैया हैं 
खुद अपने  मसीहा तुम हो प्यारे 
आये  कौन जो तेरी किस्मत संवारे 
सारी कायनात  तो तेरी है
समेट ले प्यार से बाँहों में 
सूनी  निगाहे तेरी  पगले फिर 
आसमान को क्यों तरसती है 
बन काल करो अब प्रबल प्रहार 
टूट पड़ो अब तुम्हारी बारी है 
शीतल करो उस आग को अपनी 
नैनों से तेरी बरसों से बरसती है, 
स्वराज तो हमको मिल चुका
सुराज तुम्हे अब लाना है 
वीर शहीदों की क़ुरबानी पर 
भारत का भविष्य बनाना है. 
जय हिंद. वन्दे मातरम्.

Views: 349

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:01pm

आदरणीय उमा शंकर जी, सादर.

आपने अमूल्य समय दिया . स्नेह हेतु धन्यवाद.

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 31, 2012 at 10:34pm

अच्छी कविता वीर रस से भरी

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 9, 2012 at 8:53am

बहुत सुन्दर कविता,आदरणीय प्रदीप जी.

स्वराज तो हमको मिल चुका
सुराज तुम्हे अब लाना है
वीर शहीदों की क़ुरबानी पर
भारत का भविष्य बनाना है
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 9, 2012 at 4:51am
खुद अपने  मसीहा तुम हो प्यारे 
आये  कौन जो तेरी किस्मत संवारे
बन काल करो अब प्रबल प्रहार 
टूट पड़ो अब तुम्हारी बारी है 
कोयल की कूक जो मेरे कानों  में  सुने पद रही है चीख कर शायद यही का रही है! अहो! जागो, उठो, बदलो!
adarneey kushwaha jee sandae wandan!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service