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महंगाई और मंत्री जी!

चीनी के दाम बढने पर

पत्रकारों ने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री से सवाल पूछा.-
मंत्री जी ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया.
चीनी कम खाइए, डायबिटीज को दूर भगाइए.
मैं तो चाय भी बिना चीनी के पीता हूँ,
कहिये तो आपलोगों के लिए भी मँगा दूँ.
पत्रकारों का अगला सवाल था -
सर, दाल बहुत महंगा है,
मंत्री जी फिर बोले,
आपने सुना नहीं, अमरीका ने क्या कहा है?
वे कहते हैं, भारतीय दाल ज्यादा खाते हैं,
इसीलिये गाल भी ज्यादा बजाते हैं.
अब मेरी सलाह मानिए,
गरम पानी में थोड़ा दाल डालिए.
उसे हिलाइए, फिर चावल या रोटी खाने के बाद उसे पी जाइये.
नीचे बचे हुए दाल को सम्हालकर रखिये.
दुसरे दिन फिर यही प्रक्रिया दुहाराइए,
दाल महंगी होने से मत घबराइए.
मंत्री जी के पास हर प्रश्न का जवाब है.
उनसे आगे पूछा गया.
सर, सरकारी गोदामों के बाहर, कुछ स्टेसनों पर,
काफी सारे अनाज सड़ रहे हैं,
उधर गरीब भूखे मर रहे हैं.
मंत्री जी ने मुस्कुराकर

खुद से अपनी पीठ थपथपाई.
अरे! यह तो बहुत अच्छी खबर है भाई.
हरित क्रांति ने सचमुच की क्रांति ले आई.
अब देखिये, अनाज ज्यादा हैं

 और, हमने भंडार कम बनवाई.
इसीलिये तो हमने

‘मिड डे मील’ की योजना बनवाई.
इसके कई फायदे है भाई.
हमारे भारतवर्ष के गरीब बच्चे

जो स्कूल नहीं आते थे.
‘मिड डे मील’ के लालच में

स्कूल भागे चले आते हैं.
और मुफ्त में खाना खाकर

घर चले जाते हैं.
हमारे ये गरीब बच्चे

घर में ‘नॉन भेज’ नहीं खा पाते हैं.
वे ही इस कीड़ायुक्त अनाज को

पका कर खाते हैं.
या फिर यों कहिये 

मुफ्त में ‘नॉन भेज’ का मजा उड़ाते हैं.
इधर स्कूलों के रजिस्टर में

उनका नाम दर्ज होता है.
अगर इस ‘नॉन भेज’ को खाकर

बीमार पड़ जायं,
तो

उनका सही ढंग से इलाज हो,
यह सरकारी अस्पतालों का फर्ज होता है.
ऐसे भी सरकारी अस्पताल खुद एक मर्ज होता है.

 
ये सरकारी अस्पताल के डॉक्टर,

मरीजों के इंतज़ार में खुद ऊब जाते हैं.
या फिर अपने प्राइवेट क्लिनिक में डूब जाते है.
—————————————————-
मंत्री जी के विचारों से प्रेरणा लेकर,
मैंने अपनी धर्मपत्नी को समझाया.
महंगाई से लड़ने के नुस्खों को आजमाया.
– — — — — –
महंगाई को मारो गोली, ‘ग्रोथ रेट’ की बोलो बोली.
मंत्री जी क्या जादूगर हैं, इस बार न खेलो तुम होली.
त्यौहार कोई जब आता है, ब्यापारी तब मुस्काता है.
जब हम दीवाला हो जायं, उसकी होती तब दीवाली.
नमक सलाद में मत डालो, चाय में डालो चीनी कम.
दाल में पानी काफी डालो, करो न महंगाई का गम.
‘सर्फ़ एक्सेल’ का दाम बढ़े तो, निरमा से कपड़े को धोलो.
एल.पी. जी. का दाम बढ़े तो, गैस सिलिंडर को मत खोलो.
ये नुस्खे सब गुप्त रहे, दाई नौकर को छोड़ो जी,
अपना काम करो खुद से, ‘जिम’ जाना अब छोड़ो जी.
कहे जवाहर खुद पत्नी से, देश धर्म मत छोड़ो जी.
मंत्री जी की बात सुनो जी, रोना धोना छोड़ो जी.

 

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Comment

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2012 at 6:09am
आदरणीय भ्रमर जी, सादर अभिवादन!
पंक्तिया चिह्नित करने और पसंद करने के लिए आभार! इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहें!
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2012 at 6:07am
कुमार गौरव जी, सादर अभिवादन!
पंक्तिया चिह्नित करने और पसंद करने के लिए आभार! 
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 5, 2012 at 8:37am

जवाहर सर सादर प्रणाम

नमक सलाद में मत डालो, चाय में डालो चीनी कम.
दाल में पानी काफी डालो, करो न महंगाई का गम.
‘सर्फ़ एक्सेल’ का दाम बढ़े तो, निरमा से कपड़े को धोलो.
एल.पी. जी. का दाम बढ़े तो, गैस सिलिंडर को मत खोलो.
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ. बधाई.
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 2:11pm

त्यौहार कोई जब आता है, ब्यापारी तब मुस्काता है.
जब हम दीवाला हो जायं, उसकी होती तब दीवाली.
नमक सलाद में मत डालो, चाय में डालो चीनी कम.
दाल में पानी काफी डालो, करो न महंगाई का गम.

प्रिय जवाहर जी बहुत सुन्दर भाव प्रवाह---- लिंक बनते गए ---गजब  का सन्देश ..व्यंग्य ....उपचार और ये परेशान संसार ...बधाई हो 

जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 


Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 12, 2012 at 5:48am
आदरणीय सरिता बहन, नमस्कार!
आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिय आभार!
हिंदी में टाइप करने के लिए दाहिनी तरफ में लिखा हुआ है,  new  देवनागरी (हिंदी) में टाइप करने के लिए यहाँ क्लिक करें! क्लिक करने से google transliteration एक नया विंडो खुल जायेगा उसमे आप हिंदी टाइप कर कॉपी पेस्ट कर सकती हैं!    
Comment by Sarita Sinha on April 11, 2012 at 10:25pm

jawahar bhai namaskar,

agli bar mantri ji se miliye ga to kuchh ham garibo ki charcha bhi kar lijiye ga...

achcha "" sakaratmak""  sakshatkar.....

(ab hindi me comment kaise hoga.....)

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 10, 2012 at 12:17pm

bhagyashali hain aadarniya singh sahab ji, saadar abhivadan aap ki

aapki dharm patni ne baat suni

lagat hai meri patni aapki se jyada guni 

boli bhaiya ki (aapki) baat chodo ye to baaton ke hain dhani

mil gayi inko sati savitri jo inke charnan maa padi 

badhai. kavita ka plot mila 

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 10:08am

बहुत सुन्दर कविता एवं नुस्खा,आदरणीय जवाहर जी.क्या खूब कही है......

महंगाई को मारो गोली, ‘ग्रोथ रेट’ की बोलो बोली. मंत्री जी क्या जादूगर हैं, इस बार न खेलो तुम होली. त्यौहार कोई जब आता है, ब्यापारी तब मुस्काता है. जब हम दीवाला हो जायं, उसकी होती तब दीवाली. नमक सलाद में मत डालो, चाय में डालो चीनी कम. दाल में पानी काफी डालो, करो न महंगाई का गम.

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