For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावन की चांदनी रात

सावन की ये अंजोरिया
झिलमिलाते चाँद -तारे
बादलों की आड़ से
लुक्का छिप्पी खेलते सारे
हलके हलके घनो से
हल्की बूंदों की रिमझिम
हर्षित मन को लगते न्यारे


शनै: शनै: पवन के झोखे
नीम पीपल आम के पत्ते
झींगुर के साथ और रतजगे
मिलकर किए निर्मित
कर्णप्रिये ध्वनि है मिश्रित


बसुधा से मिलन को बेताब
वो बूंद अम्बर से
आकर पत्तों पर गिरती
तब धरा को सर्वस्व मानकर
उससे आलिंगन करती
धरा और नभ के मिलन की
साक्षी है ये चांदनी रात
मनोरम मनमोहक निमग्न मिलन की
सावन की है चांदनी रात !!!


............रीतेश सिंह.

Views: 452

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on August 22, 2010 at 9:24am
ritesh ji pranaam,
bahut hi sundar kriti prastut ki hai aapne. bahut achchha laga padh kar. shabdo ka uchit prayog, jabardast|
ek baat bataeega saawan ki chandani raat, kaisi lagti hai aapko. kya waastaw me bahut khubsurat.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 22, 2010 at 7:03am
रितेश जी, सावन के महीने मे प्राकृतिक सौंदर्य देखते बनता है, आप की कविता प्राकृतिक सौंदर्य को बड़े नजदीक से महसूस करा पा रही है, बहुत ही सुंदर वर्णन, आप की रचनाओं का आगे भी इन्तजार रहेगा, अच्छा लिख रहे है, लेखनी को गतिशील रखे, बहुत बहुत बधाई इस खुबसूरत प्रस्तुति पर,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 21, 2010 at 9:27pm
सावन का महिना और जोरदार बरसात ऐसे ही आपकी ये रचना भी जोरदार ...बहुत सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service