For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धारावाहिक कहानी : कौन देगा इस रिश्ते को नाम ? अंक-२

कौन देगा इस रिश्ते को नाम ?

लेखक -- सतीश मापतपुरी

करवट बदल कर नाजिमा ने सर तक कम्बल खींच लिया, तभी उसे लगा कि बाहर के दरवाज़े पर कोई दस्तक दे रहा है .................. एकबारगी उसका पूरा बदन काँप उठा ..........................................................

दस्तक बंद हो गयी . भ्रम समझ वह गले तक पुनः चादर समेट ली . "ठक....ठक ठक ......ठक........ दस्तक पहले से अधिक स्पष्ट थी ........ लगभग उछल पड़ी नाजिमा ........ झटके से चादर फेंककर खड़ी हो गयी . "कौन हो सकता है ?..... क्या रुरपुर के हिन्दू-दंगाई ?...... यहाँ किसलिए आये होंगे ?......... क्या करना चाहिए मुझे ?.......अब्बा को जगाना चाहिए ?" . एक साथ अनेक प्रश्न उभरे . अगले ही क्षण नाजिमा ने स्वयं को संभाल लिया .

उसने सोचा,अब्बा नाहक डर जाएंगे . कोई भी हो, अन्दर आना इतना आसान नहीं . इसके लिए फाटकनुमा किवाड़ तोड़ना होगा और तबतक रुसुलपुर के लोग सोये नहीं रहेंगे . सांस रोके दबे पाँव वह बाहर के दरवाजे तक आयी. कान लगाकर सुना , धीरे-धीरे कोई सिसक रहा था . किवाड़ की दरार से झाँक कर देखा . गली में जल रहे बिजली के लट्टू की आड़ी-तिरछी पड़ रही मद्धिम रौशनी में उसकी आँखें यह देखकर फटी की फटी रह गयी कि उसकी हम उम्र एक लड़की सिसकते हुए दरवाजे पर लगातार दस्तक दे रही थी. फिर एक पल के लिए भी उसने बिलम्ब नहीं किया, फटाक से किवाड़ खोल दिया . किन्तु इसके पूर्व कि वह उस लड़की का हाथ पकड़ कर अन्दर खींचती एक युवक ने कस कर नाजिम का हाथ पकड़ लिया ..... पलटकर उसने उस युवक को जलती हुयी नज़रों से घूरा . युवक ने नाजिमा का हाथ नहीं छोड़ा बल्कि उन हाथों पर अपना माथा टेकते हुए बोला--"बहन जी, हम भाई-बहन बड़ी मुसीबत में है. हमें पता नहीं था इधर स्थिति इतनी खराब है. हम सूरजगढ़ी के पंडित रामदीन के घर के हैं . बड़ी मुश्किल से छिपते-छिपाते यहाँ तक पहुचें है ".

"सूरजगढ़ी के हैं तो इधर कैसे आ भटके ?"

"गिरधरपुर उतरने पर पता चला की बस कहीं नहीं जा रही है . हमने वहाँ ही रुक जाने को सोचा था पर अचानक भगदड़ मच गयी . जिधर रास्ता मिला हम भाग खड़े हुए. हमें तो यह भी पता नहीं कि यह कौन सी जगह है." वह अपरिचित युवक इतनी सारी बातें एक ही सांस में कह गया . किसी के आने की आहट सुनकर नाजिमा ने दोनों को अन्दर करके सांकल चढ़ा दिया.

आँगन में आते ही युवक इस तरह उछल पडा मानों उसके पाँव तले विषधर आ गया हो............. क्रमश:

 

Views: 448

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rash Bihari Ravi on August 30, 2011 at 2:15pm

bahut badhia sir ji bahut khubsurat kahani chuna hain aapne

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service