For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ की बारहवीं सालगिरह का तुहफ़ा

ग़ज़ल

212 212 212

तू है इक आइना ओबीओ
सबने मिल कर कहा ओबीओ

जो भी तुझ से मिला ओबीओ
तेरा आशिक़ हुआ ओबीओ

तुझसे बहतर अदब का नहीं
कोई भी रहनुमा ओबीओ

जन्म दिन हो मुबारक तुझे
मेरे प्यारे सखा ओबीओ

यार बरसों से रूठे हैं जो
उनको वापस बुला ओबीओ

हम तेरा नाम ऊँचा करें
है यही कामना ओबीओ

जो नहीं सीखना चाहते
उनसे पीछा छुड़ा ओबीओ

और जो सीखते हैं उन्हें
अपने सर पर बिठा ओबीओ

जो मेरे दिल ने मुझ से कहा
मैंने वो कह दिया ओबीओ

हम तेरे साथ आगे बढ़ें
रास्ता वो दिखा ओबीओ

तेरा सेवक हूँ मुद्दत से मैँ
और रहूँगा सदा ओबीओ

तू सदा यूँ ही फूले फले
है 'समर की दुआ ओबीओ

'समर कबीर'

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1876

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 30, 2022 at 3:47pm

जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 30, 2022 at 3:46pm

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 30, 2022 at 3:45pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 30, 2022 at 3:43pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 30, 2022 at 3:42pm

मुहतरमा प्राची सिंह जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 30, 2022 at 3:41pm

जनाब अमीरुद्दीन साहिब आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 26, 2022 at 4:31pm

जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, आपको भी ओबीओ की बारहवीं सालगिरह की हार्दिक बधाई I 

दो अशआर आपको ख़ास तौर पर पसंद आये इसके लिये आपको धन्यवाद कहता हूँ I

इन बारह वर्षों में ओबीओ ने क्या कुछ नहीं देखा , कई मित्र हमें छोड़ कर इस दुनिया-ए-फ़ानी से रुखस्त्च्ले गये ,उन्हें ओबीओ कभी भुला नहीं पाएगा I 

//लेकिन एक बात अवश्य कहना चाहूँगा, इस मंच से कोई रूठा नहीं है. इस मंच से कोई रूठ भी नहीं सकता है. अलबत्ता, रहिवासी ही इस घर से बड़े हो गये हैं. इतने कि, या तो निजी व्यस्तता आड़े आने लगी है, जो कि एक चुभती हुई सच्चाई है. या फिर, घर का आचार-व्यवहार ही कइयों को निरंकुश प्रतीत होने लगा है. यह नितांत व्यक्तिगत सोच का पहलू अवश्य हो, परंतु, यह भी एक हकीकत है//

आपकी बात से सहमत हूँ, लेकिन भक्त भगवान से रूठ जाता है, बंदा ख़ुदा से रूठ जाता है , इसी तरह कुछ ऐसेईसे ही सदस्य हैं जिन्हें मैं ज़ाती तौर पर जानता हूँ और ऊन्हें मनाने के जतन भी कई बार कर चूका हूँ इसलिये ये शे`र बे साख़्ता हो गया I 

ग़ज़ल आपको पसंद आ गई लिखना सार्थक हुआ ,इसके लिये आपका आभारी हूँ I 

दुआ करता हूँ कि ओबीओ इसी तरह ख़ूब फूले फले I 

Comment by Samar kabeer on April 26, 2022 at 4:09pm

मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका धन्यवाद I 

Comment by Samar kabeer on April 26, 2022 at 4:08pm

प्रिय अनुज मयंक द्विवेदी आदाब , ग़ज़ल की सराहना के लिये बहुत धन्यवाद I 

Comment by Samar kabeer on April 26, 2022 at 4:05pm

जनाब अरुण कुमार निगम जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका धन्यवाद I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
22 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service