For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सियार का अनशन-भाग 1

प्यारे बच्चों, सुनो कहानी................


एक बार की बात है. किसी जंगल का राजा एक शेर था. 
उसकी हिंसा और आतंक से सभी जानवर परेशान थे. कुछ उसका नाम सुनकर डर से कांपते थे और कुछ गुस्से से लाल हो जाते थे. सभी जीवों ने शेर का विरोध करने का मन बनाया. लेकिन आगे कौन बढ़े? जो भी पहल करता शेर उसे मारकर खा जाता.

दिन बीतते गए. जानवरों का गुस्सा बढ़ता गया. उन्होंने संगठन बनाने की सोची. रामू हाथी उन्हें संगठित भी करने लगा.

बच्चों तुम तो जानते ही हो- एकता में कितनी ताकत है. कैसे ढेर सारी चींटियाँ मिलकर चीनी के बड़े दाने उठा ले जाती हैं और एक-एक करके लकड़ी तोड़ी जा सकती है लेकिन १०-२० लकड़ियों के गठ्ठर को तोड़ना मुश्किल है. यह बात धीरे-धीरे सभी जीवों को समझ में आने लगी.

लेकिन इन बातों की खबर लगते ही शेर चौकन्ना हो गया. पहले उसने जानवरों को रंग, धर्म, जाति, लिंग और क्षेत्र के आधार पर लड़वाया था. इस बार उसकी इनमें से कोई तरकीब न चली. अबकी उसने अपने जिगरी दोस्त सियार को काम पर लगा दिया.

सियार ने शेर के खिलाफ अनशन शुरू किया.

मामले में बहुत पेंच फंसे. कोई कहता सियार धूर्त है, चाल चल रहा है. तो कोई कहता कि सियार का ह्रदय परिवर्तन हो गया है. माना वह शेर के साथ था, लेकिन अब वह बदल गया है. कोई उलझन में सर पीटकर बैठ जाता. 

सियार का अनशन जारी था. लोगों में बहस चल रही थी कि सियार के अनशन की असली मांग क्या है? उन जानवरों में कोई ऐसा नहीं था जो धैर्य से छानबीन करे, सबूत जुटाए और मामले कि तह में जाए. सभी मेहनत से बचते थे, सभी कामचोर थे. दूसरों की सुनी-सुनाई बातों पर कान देते थे. कान के बड़े कच्चे थे. लोगों की इन्हीं कमजोरी का फायदा सियार को मिल रहा था. 

इतने पर भी लोगों को पता नहीं था कि सियार करना क्या चाह रहा है. वह शेर के खिलाफ भी है. लेकिन वह कहता है कि मैं शेर के आतंक से लोगो को बचाऊंगा. शेर को सभ्य बनाऊंगा. उसे समझाऊंगा कि अनावश्यक जीवों को मारना ठीक नहीं है. हर रोज एक जीव तुम्हारे पास जाएगा, उसे मार कर खा लेना. तुम्हें मेहनत करने की भी जरूरत नहीं.

कुछ लोग सियार की इस योजना से सहमत नहीं थे. वे शेर से पूरी तरह मुक्ति चाहते थे. उनका नारा था क्रान्ति, पूरी मुक्ति, हिंसा से पूरी तरह छुटकारा. लेकिन इसके लिए वे करे क्या वे नहीं जानते थे. ज्यों ज्यों सियार का अनशन बढ़ता जाता, शेर के प्रति लोगों का गुस्सा बढ़ता जाता, सियार की चालबाजियां भी धीरे-धीरे लोगों ने समझनी शुरू कर दी.

लोग तो यह कहते पाए गये-बाप रे ऐसा अहिंसात्मक आन्दोलन सियार ही कर सकता है क्योंकि वह शेर का पुराना दोस्त है. अन्यथा हमारी-तुम्हारी औकात ही क्या? हम तो शेर के सामने जाते ही उसका निवाला बन जायेंगे.

सियार कि भूख कहिये, या लोगों की बढ़ती जागरूकता, या शेर कि चालाकी. भूख हड़ताल ख़त्म हो गयी. हिरन के ताजा गोस्त के साथ शेर ने सियार का अनशन तुडवाया. जीत शेर की हुई या सियार की या सभी जानवरों की?

चारों तरफ गीत गाये जा रहे थे.....
हमारी भी जय जय,
तुम्हारी भी जय जय,
न तुम हारे न हम हारे.

कानून बना दिया गया कि महाराजा शेर के पास एक-एक करके जानवर अपनी बारी आने पर रोज जायेंगे. शेर उन्हें मारकर आराम से खायेगा. इससे शेर के गुस्से का शिकार दूसरे जानवर नहीं बनेंगे. कहानी ख़त्म हो गयी. ऐसा सोचना एक गलती होगी. 

बच्चों क्या अंत में सत्य की जीत हुई. आतताई शेर से छुटकारा मिला. दरअसल जीत खूंखार शेर की हुई. सत्य कुछ समय के लिए पराजित हो गया.

जो जीव शेर का भोजन बनने जाते, उनकी डर, बेबसी.............

आगे पढ़ें ....... 

सियार का अनशन-भाग 2

 

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2011 at 4:14pm

विक्रम भाई यदि इस बाल कथा को "बाल साहित्य" समूह में पोस्ट करे तो बहुत ही बढ़िया रहेगा |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service