मानवता की मौत -- लघुकथा –
दिल्ली की ब्लू लाइन बस में आश्रम से सफ़दरगंज अस्पताल जाने के लिये एक बूढ़ी देहाती औरत अपने साथ एक जवान गर्भवती स्त्री को लेकर चढ़ रही थी।
"अरे अम्मा जी, बस में पैर रखने को जगह नहीं है। इस बाई की हालत भी ऐसी है कि ये खड़ी भी न हो पायेगी। कोई और सवारी देख लो"? बस कंडक्टर ने सुझाव दिया|
"एक घंटो हो गयो, खड़े खड़े। लाड़ी के दर्द शुरू हो गये। अस्पताल पहुंचनो जरूरी है| सारी सवारी गाड़ियों की हड़ताल है, सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ा दिये, इसलिये| घनी मजबूरी है बेटा"।
बेटा पुकारने से कंडक्टर कुछ संजीदा होगया,"आजा अम्मा, तेरी मर्जी। देख ले कोई भलामानस सीट दे दे तो"।
बस में घुसने के बाद बूढ़ी औरत ने, इधर उधर देखा कि कहीं उन्हें गर्भवती औरत को बिठाने की जगह मिल जाय।
गर्भवती स्त्री खड़े रहने में असमर्थ थी। प्रसव पीड़ा के दर्द से रह रह कर कराह भी रही थी। लेकिन पूरी बस में एक भी व्यक्ति उसे अपनी सीट देने की पहल नहीं कर रहा था।
इतनी सारी सवारियों में कोई भी मानवता दिखाने को तैयार नहीं था।हालांकि लगभग सभी सवारियाँ पढ़ी लिखी और सूटेड बूटेड थीं।
उस बूढ़ी औरत ने एक दो लोगों से मिन्नत भी की, कुछ लोगों में थोड़ी खुसुर पुसुर भी हुई। एक भद्र पुरुष ने इतना आश्वासन अवश्य दिया कि वह अगले स्टॉप पर उतरेगा, तब आप इधर बैठ जाना।
वे बेबस औरतें नसीब के भरोसे, बस में, जैसे तैसे , हिचकोले खाते, खड़े खड़े ही यात्रा कर रहीं थीं।
तभी अचानक बस एक गति अवरोधक पर उछली, चूंकि गति तेज़ थी,इसलिये उछाल भी बड़ा था। इस कारण गर्भवती स्त्री एक चीख के साथ गिर पड़ी। उसके साथ वाली बूढ़ी औरत के संभालते संभालते बच्चा पैदा हो गया।
बस में नवजात शिशु के रोने की चीख गूँज उठी।
इधर बस के अंदर एक नये मानव का जन्म हुआ था, वहीं उसी बस में मानवता शर्मसार होकर मर गयी|
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।समाज में नैतिक मूल्यों का कितनी शीघ्रता से पतन हो रहा है, यह स्थिति भयावह एवम बेहद शर्मनाक है।हमारी भावी पीढ़ी पर इसका क्या असर होगा, यह सोचकर ही मन शंकित हो जाता है।आपकी त्वरित और संवेदना पूर्ण टिप्पणी का पुनः आभार।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । मानवीय संवेदनाओं के प्रति इंसान कितना असंवेदनशील हो सकता है, इसकी पराकाष्ठा है कहानी । हम आज ऐसे ही समाज मे रह रहे हैं इसकी कल्पना मात्र से सिर शर्म से झुक जाता है । बहुत ही बढ़िया लघु कथा । बधाई स्वीकार करें ।
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