For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐसे लूटा गया साँवला कोयला (ग़ज़ल)

बह्र : २१२ २१२ २१२ २१२

 

था हरा औ’ भरा साँवला कोयला

हाँ कभी पेड़ था, साँवला कोयला

 

वक्त से जंग लड़ता रहा रात दिन

इसलिए हो गया साँवला, कोयला

 

चन्द हीरे चमकते रहें इसलिये

जिन्दगी भर जला साँवला कोयला

 

खा के ठंडी हवा जेठ भर हम जिये

जल के विद्युत बना साँवला कोयला

 

हाथ सेंका किये हम सभी ठंड भर

और जलता रहा साँवला कोयला

 

चंद वर्षों में ये ख़त्म होने को है

ऐसे लूटा गया साँवला कोयला

------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 8, 2016 at 10:21am

आदरणीय आशुतोष जी, इस स्नेह का मैं हक़दार हूँ या नहीं ये तो पता नहीं पर इसके लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 30, 2016 at 10:08am

आदरणीय भाई धर्मेन्द्र जी इस ग़ज़ल से आपने जहाँ एक और अद्भुत सन्देश दिया है वही इस ग़ज़ल में आपकी सोच सीधे दिल में जगह बनाती है ..आपकी तारीफ़ के लिए मैं शब्दहीन हूँ .कमाल की इस रचना पर ढेर सारी शुभकामनायें स्वीकार करें सादर बधाई के साथ

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2016 at 9:55am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज भंडारी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2016 at 9:55am

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय सूर्या बाली साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2016 at 9:54am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील सरना जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2016 at 9:54am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय हर्ष महाजन जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2016 at 9:53am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेश कुमार जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2016 at 9:53am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय महेन्द्र कुमार जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2016 at 9:53am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2016 at 10:46am

आदरणीय धर्मेंद्र भाई , लाजवाब रदीफ और लाजवाब जज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

वक्त से जंग लड़ता रहा रात दिन

इसलिए हो गया साँवला, कोयला   --  इस हासिले गज़ल शेर के लिये बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
32 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर खुशी हुई। हार्दिक आभार आपका। बहुत बहुत…"
33 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय वामनकर सर,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सर्जन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार।🙏"
34 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय गणेश बागी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार। जो बात आदरणीय तिलकराज कपूर जी ने कही है उस पर…"
39 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह,वाह,पर्यावरण पर बेहतरीन ग़ज़ल। बधाई हो आद. धामी जी।"
42 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण की चिंता में कही गयी लाजवाब ग़ज़ल आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी। हार्दिक बधाई।"
44 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपने जो बात कही उस पर ध्यान दूंगा। सुझाव के लिए हार्दिक आभार।"
45 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर मेरी प्रस्तुति को मान देकर उत्साहवर्धन हेतु आपका दिल से आभार। 🙏"
47 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service