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लात का असर / लघुकथा / कान्ता राॅय

आज सूरज बहुत ही खुश था । उसका घमंडी पडोसी उसके पास इतने सालों में पहली बार मदद माँगने जो आ रहा था ।

पडोसी और उसकी बीवी ने  पिछले पंद्रह साल से सूरज का जीना हराम कर रखा था । जबसे वह अपनी नवविवाहित पत्नी को लेकर आया तभी से इन दोनों ने उसको बहला फुसला कर अपने ही रंग में रंग लिया था ।

सालों के खुन्नस निकालने का सुअवसर आज आन पडा़ था ।

हुआ युँ की जाने कैसे पडोसी को पिछले कई दिनों से कमर में दर्द बैठा हुआ है ।

सब डाॅ0 से थक गये तो किसी नें कहा की जो उल्टा पैदा हुआ होगा उसकी लात खाने से ये कमर का दर्द बिलकुल ठीक हो जायेगा ,और सौभाग्य से सूरज उल्टा ही पैदा हुआ था ।

पत्नी का विशेष आग्रह कि उनको सूरज लात मारे और दिखावे के लिए अनमने मन से वो मान गया ।

आज सूरज ठान कर ही बैठा था कि उनकी कमर ठीक हो ना हो लेकिन उसके लात का असर ठीक ही पडना  चाहिए पडोसी  पर ।


कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by pratibha pande on August 3, 2015 at 8:08pm

खुन्नस और लात , बहुत बिंदास तरीके से बात कह गईं आप  बधाई आ० कांता जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 2, 2015 at 9:17pm

आदरणीया कांता जी ..इस सुंदर लघु कथा पर हार्दिक बधाई सादर 

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