For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गैर जरूरी चीजें

तमाम गैर जरूरी चीजें 

गुम हो जाती हैं घर से चुपचाप 

हमारी बेखबर नज़रों से 

जैसे मम्मी का मोटा चश्मा 

पापा जी का छोटा रेडियो 

उन दोनों के जाने के बाद 

गुम हो जाता है कहीं 

पुराने जूते, फाउंटेन पेन, पुराना कल्याण 

हमारी जिंदगी की अंधी गलियों से .... 

हर जगह पैर फैलाकर कब्जा करती जाती है 

हमारी जरूरतें, लालसाए 

आलमारी में पीछे खिसकती जाती है 

पुरानी डायरी, जीते हुये कप 

मम्मी का भानमती का पिटारा 

सुयी धागे का डिब्बा 

शायद..... 

किसी भूले हुये पुरानी किताब मेँ

सहेज के रखें हों 

गुलाब के फूल, मोर के पंख 

तितली के पर 

बचपन की उम्र 

किसी कोने मेँ ओंधा लेटा हो 

रूठा हुआ, धूल भरा गंदे कपड़े का गुड्डा 

या अभी किसी किताबों के 

बीच रखे हों सुरक्षित 

मुहर लगे डाक टिकट, पुराने पत्र 

टाफियों के रेपर 

और पच्चीस पैसे का सिक्का .... 

इस भीड़ भाड़ के मेले मेँ 

एक एक करके सभी चीजें 

बिछड़ती जाती हैं 

हमसे ... 

बचपन के दोस्त , जीती हुयी क्रिकेट की गेंद 

लूटी हुयी पतंगे, चांदमामा की किताबें ..... 

मकानों के कंधे पर सवार 

टी0वी0 का एंटीना 

अब नहीं उलझता पतंग उड़ाने मेँ .... 

अब कोई नहीं देखता चंदा मामा को 

अब नहीं पसरती आँगन मेँ 

अलसाई ठंड की धूप 

धुंधले होते जाते हैं 

धीरे धीरे ये सारे चटख रंग .... 

सपनों के रंग बदलते जाते हैं 

एक एक करके 

बदलते मौसम के साथ 

बदलती जरूरतों के साथ 

और एक एक करके 

आँखों की दहलीज से बाहर 

चले जातें हैं 

सिर झुकाये 

गुजरते मौसम की तरह 

हम भूल जाते हैं 

वो लेमंचूस, खट्टी ईमली का चटपटा स्वाद ..... 

हमे घेर कर रखता है टी0वी0 का कर्कश शोर 

और हमारे सँकरे जीवन की कुंढी

बजा कर लौट जाती है 

न जाने कितनी पूनम की रातें 

पूरब की हवाएँ 

सुबह सुबह की भीगी औंस 

लाल घेरे मेँ कैद रहती है तारीख 

और बदल जातें हैं ये .... कैलेंडर .... 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gajendra shrotriya on May 2, 2014 at 10:19pm

आधुनिक जीवन शैली का  बेहतर चित्रण किया है आदरणीय Amod Kumar  जी आपने। वास्तव में तकनीक के आगमन ने हमारे जीवन के कई रंग हमसे छीन लिये हैं..…खासकर इस बुद्धू -बक्से और इंटरनेट ने।  बहुत बधाई इस रचना के लिये। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service