For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - इतनी आसाँ ज़िंदगी होगी नहीं !

(मात्रिक विन्यास -- २१२२ २१२२ २१२ )


इतनी आसाँ ज़िंदगी होगी नहीं
मुश्किलों से दोस्ती होगी नहीं |

दर्द से कागज़ पे करना रौशनी
हर किसी से शाइरी होगी नहीं |

रुक न पाया सिलसिला जो बाँध का
कल के दिन भागीरथी होगी नहीं |

इस तरह कुचला गया जो हर गुलाब
फिर किसी घर में कली होगी नहीं |

मुद्दतों के बाद याद आया कोई
मेरे घर अब तीरगी होगी नहीं |


- आशीष नैथानी 'सलिल'
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 8:15pm

आ0 आशीष भाई जी, वाह! बेहतरीन गजल। /मुद्दतों के बाद याद आया कोई, मेरे घर अब तीरगी होगी नहीं!/
हृदयतल से बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 26, 2013 at 8:00pm

शुक्रिया वंदना जी !!!

तहेदिल से शुक्रिया भाई अरुण शर्मा जी !!!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 26, 2013 at 7:59pm

बहुत-बहुत शुक्रिया Dr Lalit Kumar Singh जी  !!!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 26, 2013 at 7:58pm

बहुत-बहुत शुक्रिया गिरिराज भंडारी जी  !!!

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 7:48pm

आदरणीय सलिल जी ,
रुक न पाया सिलसिला जो बाँध का
कल के दिन भागीरथी होगी नहीं |.................साहित्य में पर्यावरण का सन्देश ,अति दुर्लभ

इस तरह कुचला गया जो हर गुलाब
फिर किसी घर में कली होगी नहीं |................आजकल की दुष्कर्म की घटनाओं पर प्रहार
लाजबाब प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बधाई

Comment by विजय मिश्र on August 26, 2013 at 5:19pm
चंद लफ्जों में आजकी बेतरतीबी पर जिंदाबयानी के लिए दिली शुक्रिया आशीषजी . खूबसूरत .
Comment by Sonam Saini on August 26, 2013 at 2:57pm

इस तरह कुचला गया जो हर गुलाब
फिर किसी घर में कली होगी नहीं |

आज के हालात पर एकदम सटीक बैठते इस शे र हेतु बधाई स्वीकार करे आदरणीय आशीष जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 1:47pm

वाह वाह वाह मित्रवर अप्रितम आनंद आ क्या क्या खूब अशआर हुए हैं भाई. दिल से ढेरों दाद कुबूल फरमाएं.

इस तरह कुचला गया जो हर गुलाब
फिर किसी घर में कली होगी नहीं ... वाह इस शेर हेतु विशेष तौर से बधाई स्वीकारें.

Comment by vandana on August 26, 2013 at 7:23am

दर्द से कागज़ पे करना रौशनी 
हर किसी से शाइरी होगी नहीं |

बहुत बढ़िया गज़ल 

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on August 25, 2013 at 9:54pm

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए साधुवाद और बधाई।
इस मिसरे जरा देख लेंगे -'फिर किसी घर में कली होगी नहीं |'
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
19 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
20 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
4 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
23 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service