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मैने देखी है.........

मैने देखी है.........


जिंदगी मे मैने बहुत ऊँच नीच देखी है
यहा हर साये मे मैने धूप देखी है ...

कल जो कहता था,मुझ पर कोई एहसान ना करना
चार कंधो पर जाती उसकी सवारी देखी है......

कोई ऐसा ना मिला,माँगा ना हो जिसने आजतक 

बड़े बड़े दानवीरों की मंदिर मे फैली झोलिया देखी हैं.....

वक़्त से बड़ा सिकंदर ना हुआ कोई आज तक
दुनिया जीतने वालों की भी खाली हथेलियाँ देखी हैं......

कुदरत से लड़ परत दर परत सुंदर दिखते हैं जो
सुबह आईने मे उनकी असली तस्वीर देखी है......

दहेज़ का ही मोल है, व्यर्थ की बात की सुंदरता अनमोल है
बहुत खूबसूरत लड़कियों की भी बारातें लौटते देखी हैं......

संस्कार चिता की राख हुए, गंदी से भी घटिया हुई सोच
पत्नी का चौथा हुआ नही, बेटी पर गड़ी वहशी नज़रें देखी है....

खुद खड़े होने के लिए सहारा माँगते ये जुड़े हाथ
इन्ही हाथों मे कयी मासूमो की दबी गर्दनै देखी हैं....

हाथों के लकीरी ज्ञान पर जिंदगी बिताने वालों
बिना बाजू वालों की भी बदलती तकदीर देखी है.....

धेर्रय और इंतज़ार सीखना हो तो आशिकों से सीखो
मरने के बाद भी उनकी आँखे खुली देखी हैं.....

अब ना कोई नेकी करता है,ना दरिया मे है डालता
प्यासे रह गये दरिया, और नदिया सूखते देखी हैं.......

काली घटायें, हल्की बरसात और ठंडी हवाएँ थी
बिना सनम,इस बरसात मे भी तेज़ धूप देखी है...


मैने यहा हर साए मे धूप देखी है....................

[ मौलिक और अप्रकाशित रचना.]

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Comment

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Comment by विजय मिश्र on May 16, 2013 at 4:34pm
बेशक ऊपरवाले ने आपको बेहद शातीर नजर बख्शी है . आपने साए में चुभते धुप का बहुत जिन्दा इजहार किया , क्षमा करेंगे मुझे लगता है कहीं थोड़ा ज्यादा ही किया , एक बंद न भी होता तो भी गीत सुंदर ही होता . याद रहे आप समाज को संस्कार परोसते हैं .सहजता से कही गयी असहज बात भी असहज ही होती है पवनजी .
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2013 at 2:47pm

बहुत कुछ देखा है आपने आदरणीय और बिल्कुल सटीक देखा है
सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई हो

कृपया ध्यान दे...

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