For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"एक लाख पचपन हजार..  एक

एक लाख पचपन हजार..  दो

एक लाख पचपन हजार..  तीन ..."

अधिकारी महोदय ने जोर से लकड़ी का हथौड़ा मेज पर दे मारा. रघुराज ठेकेदार की तरफ देखते हुए वे धीरे से मुस्कुरा दिए.

रघुराज ठेकेदार ने भी आँखों ही आँखों में अधिकारी महोदय को मुस्कुराते हुए अपनी सहमति जतायी और अपने मित्र मोहन के कंधे पर हाथ रख धीरे से बोल उठे,  ''ओये मोहन्या..चल भाई, हम भी अब अपना काम करें. अधिकारी महोदय के लिए पूरा इंतजाम करना है ''

दोनों खुश-खुश नीलामी स्थल से बाहर निकल गये...

 

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 827

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 8, 2013 at 11:22am

मेरा ''सौभाग्य''...यह संयोग बना :-))

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 8, 2013 at 11:00am

आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु ,आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्र जी,स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 8, 2013 at 10:56am

हार्दिक धन्यवाद, भाई जितेन्द्रजी.. . :-))

शुभ-शुभ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 8, 2013 at 10:51am

आदरणीय सौरभ जी, आपका हृदय से आभार. स्नेहिल मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 8, 2013 at 1:56am

वाह रे हक़ीक़त का रूप ! एक आम हो गये गँठजोड़ को बहुत करीने से प्रस्तुत किया है आपने जीत भाई.

हार्दिक बधाई !

इसी तरह लिखते रहें ..

शुभेच्छाएँ

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 6, 2013 at 10:52pm

प्रिय जितेन्द्र जी हकीकत को बयाँ करती सशक्त लघु कथा.…… क्या ये घोल मेल कभी सुधरेगा भी ?
जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 6, 2013 at 9:13am

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से लेखनकर्म को सार्थकता का प्रमाण मिलता है, आपका हृदय से आभार आदरणीय शुभ्रांशु जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by Shubhranshu Pandey on December 5, 2013 at 11:23am

सब कुछ कितना सुव्यवस्थित लगता है लकिन...... एक पंक्ति ने व्यवस्था की पेंच खोल दी...सुन्दर कथा

सादर. 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 11:02pm

लघुकथा पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु,आपका हार्दिक आभार आदरणीया वंदना जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:48pm

आदरणीय चंद्रशेखर जी, आपकी दोबारा स्नेहिल प्रतिक्रिया से मन को बहुत संतोष मिलता है

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
12 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
12 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service