For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तमाम रात गुजरने के बाद आते हैं

वो अपने यार को छलने के बाद आते हैं

दिलों में दर्द उभरने के बाद आते हैं

 

चमकते चाँद सितारे गगन में लगता है  

विरह की आग में जलने के बाद आते हैं

 

न कोई देख ले चेहरे की झुर्रियां यारों  

तभी वो खूब सँवरने के बाद आते हैं

 

हमारे दर्द भी करते हैं नौकरी शायद

हमेशा शाम के ढलने के बाद आते हैं

 

तुम्हारी याद के जुगनू भी बेबफा तुम से

तमाम रात गुजरने के बाद आते हैं ..............दीप...............

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 859

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:49pm

आदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम ..........आपकी प्रतिक्रिया मिलना सौभाग्य होता है किसी रचनाकार का बुरा मानने की औकात नहीं अपनी

हाँ  एक अनुरोध और निवेदन अवश्य है की इसीतरह उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन करते रहें ताकि कलम चलती रहे और कुछ नया करती रहे ................ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये

जय हो जय हो जय हो आपकी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:38pm

आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीय विजय निकोर सर जी सराहना और उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से धन्यबाद ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:37pm

आदरणीय राजेश सर जी .....कोशिश करूँगा के कुछ लिखूं जिसपे आपकी जय हो बारम्बार मिले .......स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:36pm

आदरणीय सूर्या बाली सर जी, आदरणीय श्यामनारायण जी, आप सभी का ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनांये रखिये सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:34pm

आदरणीय अभिनव सर जी, आदरणीय विजय मिश्र जी, आदरणीय राम अवध जी, आदरणीय नीलेश जी, आप सभी की उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं मिलीं मन प्रसन्न हो उठा, ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:32pm

आदरणीय धर्मेन्द्र सर, आदरणीया राजेश कुमारी जी ..आदरणीय राम भाई, आदरणीय अरुण भाई साहब इस हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:31pm

आदरणीया गीतिका दीदी, आदरणीय नादिर खान साहब, आदरणीय गोपाल सर, आदरणीय शिज्जू जी, आदरणीया अलका जी, आदरणीय जीतेन्द्र जी आप सभी का उत्साहवर्धन और सराहना के लिए ह्रदय से धन्यवाद

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 3:28pm

आदरणीय गिरिराज सर. आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आदरणीया मीना पाठक जी ....इस उत्साहवर्धन के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 2, 2013 at 3:05am

बुरा न मानियेगा भाई संदीपजी.. कि आज आ पाया हूँ आपकी इस ग़ज़ल पर.

एक मतला और उसके साथ चार अश’आर.. इतने ही से लूट ले गये यार !! ..

शुभ-शुभ

Comment by vijay nikore on November 27, 2013 at 6:21am

खूबसूरत गज़ल कही है, आदरणीय संदीप जी। हार्दिक बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
51 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
53 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
59 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
1 hour ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service