For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं लिखा करता हूँ

भाव की ध्वनियों को;

उतारता हूँ

नए शब्दों में

नए रूपों में।

 

रस, छंद, अलंकार

तुक, अतुक

सब समाहित हो जाते हैं

अनायास।

ये ध्वनि के गुण हैं;

शब्द के श्रंगार।

इन्हें खोजने नहीं जाता।

 

मुझे तो खोज है

उस सत्य की

जिसके कारण

मैं सब कुछ होते हुए भी

कुछ नहीं

और कुछ न होते हुए भी

सब कुछ हो जाता हूँ।

 

शायद किसी दिन

किसी अक्षर

किसी शब्द के पीछे

छिपे अर्थ में से

सहसा प्रकट हो जाए

वह सत्य

और मेरी आंख का

मोतियाबिन्द खत्म हो जाए।

              - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 22, 2013 at 5:13pm

आदरणीय अरुन भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 22, 2013 at 2:42pm

वाह आदरणीय बृजेश भाई जी वाह आनंद आ गया बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ह्रदय से बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on July 19, 2013 at 7:16pm

आदरणीया वंदना जी आपका बहुत आभार!

Comment by Vindu Babu on July 19, 2013 at 6:47pm
आदरणीय कविता में भावों की मौलिकता झलक रही है।
काव्य का मुख्य गुण वास्तविक भावों को शब्द देना ही तो है,ये तुक,अतुक,अलंकार आदि भावों की प्रबलता और परिपक्व भावाभ्यक्ति के साथ स्वत: आने लगते हैं।
रचना पूरी ही बहुत अच्छी लगी,अन्तिम दो बन्द बहुत ही अच्छे लगे।
सादर बधाई एवं शुभकामना।
Comment by बृजेश नीरज on July 19, 2013 at 5:59pm

आदरणीया गीतिका जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 19, 2013 at 5:58pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 19, 2013 at 5:57pm

आदरणीय राज नवादवी साहब आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 19, 2013 at 5:56pm

आदरणीया परवीन जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by वेदिका on July 19, 2013 at 4:14pm

बहुत ही सुंदर भाव समाहित रचना पर बधाई आदरणीय बृजेश जी!!

Comment by annapurna bajpai on July 19, 2013 at 1:01pm

वाह बृजेश जी , बड़ी ही सुन्दरता से भावों को को पिरोया है आपने .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service