For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बता दो क्या कर लोगे

बता दो क्या कर लोगे

सूरज के ही आगे पीछे रहती है बस  धूप,

बता दो क्या कर लोगे 

उनका पेट भरेगा, तेरी भांड में जाए भूख ,

बता दो क्या कर लोगे 

तेरे ही काँधे पर चढ़कर छोड़ेंगे बन्दूक,

बता दो क्या कर लोगे 

बेटा उनका आगे होगा, तुम्ही जाओगे छूट, 

बता दो क्या कर लोगे 

काला होगा धन उनका जब तेरा पैसा लूट,

बता दो क्या कर लोगे 

कुर्सी तेरी वो बैठेंगे, तुम बस देना घूस,

बता दो क्या कर लोगे

 

मौलिक और अप्रकाशित  

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:03pm

आपका आभार आदरणीय ललित जी! 

थैंक्स, आपने बता दिया! आज से भूगोल की क्लास ज्वाइन करने वाली हूँ :))))))))))  

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 5:54pm

Jitendra Pastariya जी 

 आपका बहुत बहुत आभार 
 सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 5:52pm
अब समझ मैं आया कि आपको भूगोल  में कम मार्क्स  क्यों आते थे।
दिन-रात की वजह धरती का अपनी कक्षा में घूमना भर है। धरती नहीं घूमेगी तो आधी पृथ्वी पर हमेशा रात और आधी धरती पर सदा सदा के लिए दिन रहेगा।
 सादर   
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 7, 2013 at 8:52am
"तेरेही काँधेपरचढ़कर छोड़ेंगेबन्दूक,

बता दो क्या करलोगे".....आदरणीय डा.ललित जी, परिस्थिति की मजबूरीयों में व्यक्ति, जब अपने लिए समस्याऐं एकञित कर लेता है तो गैर तो गैर, अपनों के ही कांधे पर बंदूक रख छोड़ता है! बहुत सुंदर आदरणीय..हार्दिक बधाई
Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 7:26am

आदरणीय ललित जी!

सूरज के चारो तरफ रोशिनि होना तो समझ आता है लेकिन चारो तरफ धूप रहेगी तो फिर रात कब होगी ?  

इस बात से मै सहमत नही हो पा रही हूँ! 

सादर 

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 6:47am

आ.  ajay sharma  जी 

 आपका बहुत बहुत आभार 
 सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 6:45am

आ. coontee mukerji  जी 

 आपका बहुत बहुत आभार 
सड़ी व्यवस्था को झकझोरने वाला चाहिए। मजबूरी कहीं नहीं है 
 सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 6:43am

आ.  Dr.Prachi Singh जी 

 आपका बहुत बहुत आभार 
सड़ी व्यवस्था को झकझोरने वाला नज़र नहीं आता 
 सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 6:41am

Laxman Prasad Ladiwala  सर जी 

 आपका बहुत बहुत आभार 
 सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 6:40am

  आदरणीय गीतिका 'वेदिका' जी

आभार 
 सूरज के चारों तरफ रोशनी होती है 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service