For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आँख मिचौली वासंती संग

पीत वसन से सजी धरती सखि 

सोन से भाव में तोलि  रही सब 

सोंधी सी खुश्बू हिया अब उमड़ति 

प्रीति के चन्दन लपेटि रही अंग 

कुसुमाकर बनि काम कुसुम तन 

सिहरन बनि झकझोरि रहे हैं 

नील गगन रक्तिम बदरी मुख 

मलयानिल बढ़ी खोलि दिए हैं 

पतझर के दिन बीते रे सजनी !

कोंपल-हरि  मन जीत लिए हैं 

कूके कोयलिया मन बागन में 

बौर सना रस प्रीति  सुधा जिमि 

पवन मंद ज्यों बेल लिपटि फिर 

दूर भये व्याकुल चितवन करि 

आँख मिचौली वासंती संग 

आनंदी आनंद मगन ह्वे 

सब ऋतुवन को जीति लियो है …..

पियरी सर-सों मन मीत पियारी 

प्रीति  अधर खिलि मोह लियो है 

स्वर्ग अप्सरा मोर मगन  मन झंकृत कर  हे 

दुल्हन वसुधा श्रृंगार चरम करि तीन लोक में 

प्रकृति नटी हिय झंडा गाडि के रीझि रही है !! 

--------------------------------------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5 

प्रतापगढ़  अवध 

14.02.2013 11.45 मध्याह्न 

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 26, 2013 at 11:02pm

आदरणीय डाक्टर अजय जी वासन्ती रंग ने आप को लुभाया आप ने सराहा मन खुश हुआ कृपयामार्गदर्शन करते रहें


आभार आप का प्रोत्साह्ञ हेतु
भ्रमर ५

Comment by seema agrawal on February 26, 2013 at 11:01pm

वाह वाह वाह भ्रमर जी क्या चित्रण किया है ऋतु बसंत का ....उपवन में ही ला दिया आपके शब्दों ने 

मलयानिल बढ़ी खोलि दिए हैं 

पतझर के दिन बीते रे सजनी !

कोंपल-हरि  मन जीत लिए हैं 

कूके कोयलिया मन बागन में 

बौर सना रस प्रीति  सुधा जिमि 

पवन मंद ज्यों बेल लिपटि फिर 

दूर भये व्याकुल चितवन करि...आनंद आ गया 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 26, 2013 at 11:00pm

आदरणीय वागी जी मन अभिभूत हुआ रचना प्रकृति की कुछ छटा दिखला सकी सुन खुशी हुई
लिखना सार्थक रहा कृपयामार्गदर्शन करते रहें


आभार आप का प्रोत्साह्ञ हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 26, 2013 at 10:55pm

प्रिय संदीप जी रचना को आप का मान मिला वसन्ती रंग छा गया
आभार आप का प्रोत्साह्ञ हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 26, 2013 at 10:54pm

वेदिका जी वसन्ती रंग से रंगी ये रचना आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ
आभार आप का प्रोत्साह्ञ हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 26, 2013 at 10:52pm

आदरणीय सौरभ भ्राता श्री आप के शब्द यों ही सुनने को मिलते रहें तो कोशिशें ज़रूर कामयाब होंगी
ब्रज भाषा के तड़के से मधुरता आई रचना मे सार्थकता सुन खुशी हुई आभार आप का प्रोत्साह्ञ हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 26, 2013 at 10:46pm

आदरणीय कुशवाहा जी आप आए बहार आई आभार आप का प्रोत्साह्ञ हेतु
भ्रमर ५

Comment by Dr.Ajay Khare on February 18, 2013 at 11:31am

BHAVAR JI SUNDER PRAKRATI CHITRAN BADHAI


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 12:14pm

आदरणीय भ्रमर जी प्रकृति का अद्भुत वर्णन आपने इस रचना के माध्यम से किया है, अच्छी रचना लगी , बधाई स्वीकार करें ।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 11:39am

आदरणीय भ्रमर सर जी सादर 
बहुत सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service