For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे देह लता बन शरद घटा

पर देख जरा यह ध्‍यान रहे

पथ है अपार भीषण तुषार

हे पथिक पंथ का ज्ञान रहे

मन भेद भरे नित चरण गहे

तन मूल धूल यह भान रहे

यौवन सम्‍हार छलना विचार

निर्लिप्‍त दीप्‍त बस प्राण रहे

 

यह नृत्‍य गान भींगा विहान

छाया प्रमाण खम ठोंक कहे

'गढ़ नेह-मोह रच दूं विछोह

जो लेश मात्र अंजान रहे'

 

तज दर्प दंभ हैं ये भुजंग

आभा अनूप नित तूम रहे

दस द्वार ज्‍वार करता विहार

बस एक प्राण मुदमान रहे

 

तब हे विशेष धर श्‍याम वेष

क्‍यों हाय ! वृथा हठ ठान रहे

धर रम्‍य रूप हो जा अरूप

अज पंथ परम प्रस्‍थान रहे

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 1:37pm

राजेश सर सुन्दर गीत रचा है आपने बधाई स्वीकारें

Comment by MAHIMA SHREE on December 13, 2012 at 10:56am

हे देह लता बन शरद घटा

पर देख जरा यह ध्‍यान रहे

पथ है अपार भीषण तुषार

हे पथिक पंथ का ज्ञान रहे....

अति सुंदर !!! बहूत  -2 बधाई आपको

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 13, 2012 at 7:40am

बहुत ही सुन्दर कविता ! बधाई स्वीकारें!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2012 at 8:17pm

//

यह नृत्‍य गान भींगा विहान

छाया प्रमाण खम ठोंक कहे

'गढ़ नेह-मोह रच दूं विछोह

जो लेश मात्र अंजान रहे'///

बहुत ही खुबसूरत रचना , अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें |

Comment by ajay sharma on December 12, 2012 at 7:28pm

it is like flowing stream , making so many enchanting voices, rythems, tunes ( as chhandas echoing like this )  reflecting a inner urge  of the "mana" & like soul incorporating with it .. wah wah wah wah  

हे देह लता बन शरद घटा , पर देख जरा यह ध्‍यान रहे ,पथ है अपार भीषण तुषार , हे पथिक पंथ का ज्ञान रहे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
6 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service