For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr a kirtivardhan's Blog (12)

अकेला

अकेला .......

अकेला

एक शब्द

स्वयं मे अकेला|

हजारों कि भीड़ मे

एक अहसास

अकेले होने का

इंसान को अकेला कर देता है

समाज मे,स्वयं कि सोच मे|

कितना अजीब सा है

यह अहसास

अकेलेपन का ?

कभी सोचा है तुमने

किसी सुखी मनुष्य का बारे मे

क्या उसे सालता है अहसास

अकेलेपन का

अथवा यह है अनुभूति

केवल दुखी मनुष्य के साथ?

अकेलापन किसी कि बपौती नहीं

यह है मात्र अहसास

विचारों के साथ|

कभी कभी अच्छा लगता…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 21, 2012 at 11:00pm — 3 Comments

आँसू

आँसू  ----



आँसू नहीं छंद होते हैं

आँसू नहीं नियम होते हैं

भावों की अनुभूति है आँसू

कभी ख़ुशी कभी गम होते हैं..

मैंने देखे सुख के आँसू

हंसते गाते झिलमिल आँसू

दुःख मे भी देखे हैं आँसू

रोते-रोते दर्दीले आँसू ..

बेटी की विदा बेला पर

छलक पड़े आँखों के आँसू

गौरव के पल आने पर भी

बह निकले आँखों से आँसू ..

कभी किसी की मृत्यु पर भी

खूब बहाए मैंने आंसू

शिशु जन्म के अवसर पर भी

रुक न सके आँखों मे…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 13, 2012 at 2:00pm — 3 Comments

मेरी आवाज़

मेरी आवाज़ .....

आवाज़,जो मुल्क की बेहतरी के लिए है,

उसे कोई दबा नहीं सकता|

दीवार ,जो मेरी आवाज़ दबा सके,

कोई बना नहीं सकता|

जब जब चाहा जालिमों ऩे,आवाज़ दबी हो,

किस्सा, कोई बता नहीं सकता|

क़त्ल कर सकते हो मेरे जिस्म को, कातिल ,

विचारों को कोई दबा नहीं सकता|

खिलेगा कोई फूल उपवन मे,देखना उसको,

खुशबू को कोई चुरा नहीं सकता|

कहाँ से पाला भ्रम अमर होने का,सियासतदानों ,

मौत से कोई पार पा नहीं सकता|

दबाओ के कब तलक मेरी आवाज़ ,दरिंदो…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 12, 2012 at 3:00pm — 5 Comments

तिरंगा

तिरंगा

तीन रंग मे रंग हुआ है,मेरे देश का झंडा

केसरिया,सफ़ेद और हरा,मिलकर बना तिरंगा.

इस झंडे की अजब गजब,तुम्हे सुनाऊं कहानी

केसरिया की शान है जग मे,युगों-युगों पुरानी.

संस्कृति का दुनिया मे,जब से है आगाज़ हुआ

केसरिया तब से ही है,विश्व विजयी बना रहा.

शान्ति का मार्ग बुद्ध ने,सारे जग को दिखलाया

धवल विचारों का प्रतीक,सफ़ेद रंग कहलाया.

महावीर ने सत्य,अहिंसा,धर्म का मार्ग बताया

शांत रहे सम्पूर्ण विश्व,सफ़ेद धवज फहराया.

खेती से भारत ने…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 12, 2012 at 12:30pm — 1 Comment

हाइकु

कुछ हाइकु

नारी----

.
बेबस नारी
परिवार पालती
रुखा खाकर.

कुल हाडी------

.
आरोपित है
जीवन देने वाली
कुल हाडी है.

आदमी----

आदमी देखो
गिरगिट सा रंग
मन मे भरा.

dr a kirtivardhan

Added by dr a kirtivardhan on January 12, 2012 at 12:30pm — 4 Comments

भारतीय नव वर्ष

भारतीय नव वर्ष तथा काल गणना.......

काल खंड को मापने के लिए जिस यन्त्र का उपयोग किया जाता है उसे काल निर्णय, काल निर्देशिका या कलेंडर कहते हैं|

दुनिया का सबसे पुराना कलेंडर भारतीय है | इसे स्रष्टि संवत कहते हैं,इसी दिन को स्रष्टि का प्रथम दिवस माना जाता है| यह संवत १९७२९४९११३ यानी एक अरब, सत्तानवे करोड़ ,उनतीस लाख, उनचास हज़ार,एक सौ तेरह वर्ष (मार्च २०१२ तक, विक्रम संवत २०६९ के प्रारंभ तक ) पुराना है|

हमारे ऋषि-…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 11, 2012 at 4:30pm — 3 Comments

पहचान नहीं होती

तूफां से सागर की पहचान नहीं होती ,

झील कितनी बड़ी हो,सागर नहीं होती|

गर दुष्टों को सम्मान मिला करता जहाँ मे,

शराफत की कोई पहचान नहीं होती|

बनता है कोई सागर सा,मन की गहराइयों से,

टूटी हुई तलवार की,कोई म्यान नहीं होती|

हीरे ,मोती,मानिक के,सब हैं लुटेरे,

हर निगाह ज्ञान के मोती की,कद्रदान नहीं होती|

किसी किसी पे बरसती है रहमत खुदा की,

बेईमानों की कीमत,उनकी जुबान नहीं होती|

भागते हैं जो लोग फकत दौलत के पीछे,

ईमानदारी की बातें,उनका इमान नहीं…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 10, 2012 at 4:00pm — 2 Comments

तुम्हारी याद में..... तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारी याद मे........

मैं खोयी थी अपने इन्द्रधनुषी सपनों में

अचानक बादलों की एक गडगडाहट ऩे

मुझे तुमसे मिला दिया|

लेकिन मैं कभी मन से

तुम्हारी न बन सकी|

तुम्हारा नियंत्रण मेरी देह पर था,

परन्तु मन आज भी

उन्ही इन्द्रधनुषी सपनों मे

रंगा हुआ था |

धीरे धीरे हमारे बीच दूरियाँ बढ़ने लगी,

बात बेबात तकरारे बढ़ने लगी,

आँगन मे गुलाब के साथ

कैक्टस भी फलने फूलने लगा|

और एक दिन

जब तुम चले गए

मुझे छोड़कर तन्हा

कहीं दूसरे…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 8, 2012 at 9:00pm — 1 Comment

सपना

सपना ---

लंगड़े की बैशाखी,बच्चे का खिलौना,

रेल आई -रेल आई,लेकर दौड़ा छोना |

.

सुख की परिभाषा उस बच्चे से पूछो,

ना खाने को रोटी,ना सोने का बिछोना|

.

खेलता है फिर भी,रुखी रोटी खा,

मांगता नहीं वह कार या खिलौना|

.

देखा है मैंने उसको सपने सजाते,

खुले गगन तले चाहता है वह सोना|

.

धरती से अम्बर उसकी सीमाएं हैं,

देखता है सबको रोटी का वह सपना|

.

.

डॉ अ कीर्तिवर्धन…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on January 8, 2012 at 8:30pm — 8 Comments

मुखौटों की दुनिया

मुखौटों की दुनिया

मुखौटों की दुनिया मे रहता है आदमी,

मुखौटों पर मुखौटें लगता है आदमी |

बार बार बदलकर देखता है मुखौटा,

फिर नया मुखौटा लगता है आदमी |

मुखौटों के खेल मे माहिर है आदमी,

गिरगिट को भी रंग दिखाता है आदमी |

शैतान भी लगाकर इंसानियत का मुखौटा,

आदमी को छलने को तैयार है आदमी |

मजहब के ठेकेदार भी अब लगाते है मुखौटे,

देते हैं पैगाम, बस मरता है आदमी |

लगाने लगे मुखौटे, जब देश के नेता,

मुखौटों के जाल मे, फँस गया आदमी |

जाति, धर्म… Continue

Added by dr a kirtivardhan on June 19, 2011 at 4:30pm — 1 Comment

सोमनाथ मे शिव

सोमनाथ मे शिव

--------------------

सोमनाथ मे शिव कि महिमा

अजब अनूठी हमने देखी|

जब-जब हुए आक्रमण इस पर,

भव्यता फिर से बढती देखी|

खंडन और विखंडन

प्रकृति का नियम है|

पुनः -पुनः निर्माण धारणा,

मानव कि उत्कंठा  देखी|

सोमनाथ है तीर्थ अनूठा,

सूर्य प्रथम शिव दर्शन करता,

सूर्यास्त पर भी सूर्य यहाँ,

शिव उपासना करता है|

समुद्र यहाँ पर चरण पखारे,

शिव कि महिमा गाता है|

अजब अनूठा शमा यहाँ है,

बच्चा -बच्चा शिव गाता… Continue

Added by dr a kirtivardhan on June 19, 2011 at 4:30pm — 1 Comment

आँख का पानी

आँख का पानी



होने लगा है कम अब आँख का पानी,

छलकता नहीं है अब आँख का पानी|



कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से,

मरने लगा है अब आँख का पानी|



सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर

सूख गया है तब से आँख का पानी|



पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी

आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी|



स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई

भूल गया बहना,आँख का पानी|



उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल

उतरा है जब से बच्चों…

Continue

Added by dr a kirtivardhan on May 8, 2011 at 5:30pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
18 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service