For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Narendrasinh chauhan's Blog (10)

हृदय बाह्य

आग की तरह के  शब्द,
मेरी आत्मा में जलाते है ,
मैं अपने आप को खोया पाता हूँ ,
नियंत्रण, रखना प्रतीत नहीं हो सकता है,
इरादे लटक जाते 
फांसी पे एक ध्रुव की  ,
और प्यार धुंधला हो जाता  है,
आँखों की कालिमा से 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Added by narendrasinh chauhan on November 24, 2018 at 3:35pm — 5 Comments

और इस तरह

मेरी आँखें बंद करो

और इस तरह से

दुनिया को बंद करना

मैं तुम्हें फिर मिलूंगा

तुम  शानदार हो 

जीवित और ज्वलंत

मेरे सीने  से गहरी सांस लेना

मैं तुम्हारी मुस्कान  की तस्वीर बना लूँगा 

तुम्हारी  आंखों के पीछे का नरम  प्रकाश

मेरे दिमाग में यादों का  मीलो  चलना

इच्छा है कि मैं एक चील  की तरह झपट के 

और तुम्हें उस जगह  ले जाऊ 

जिस  जगह जहां आँसू गिरते थे 

जबकि हम आमने-सामने बैठे थे

एक दूसरे के गाल पर हाथ

फुसफुसाते हुए "सब ठीक…

Continue

Added by narendrasinh chauhan on November 3, 2018 at 2:30pm — 2 Comments

इच्छा

मैं

एक पंख  

बिना उद्देश्य से उड़ता 

भाग्य की हवा की चोटी पर अनियंत्रित

हवा की धाराओं पर 

मुझे 

कृपया प्रेरित करे  

शायद एक दिन

भाग्य एक यादृच्छिक हवा 

 मुझे ले जाये

जहां मैं कभी नहीं उड़ा

उस दिशा में

 जो अंततः

मुझे पहुचाये 

आपके करीब

अमोलिक अप्रकाषित 

Added by narendrasinh chauhan on September 4, 2018 at 12:28pm — 3 Comments

कविता

पेंसिल या पेन

किस तरह का स्याही

आप फैल रहे हैं?

आग पर कीबोर्ड

सपने और इच्छाएं

कुछ हास्य

कुछ आँसू

गंभीरता  एक खुराक

जीतने वाले शब्द

शब्दों को विभाजित करना

शब्द जो हमें एक साथ लाते हैं

शब्द जो जीवन बोलते हैं

कोई बात नहीं कविता या टुकड़ा

कविता है

और हमेशा जीवित रहेगी

मौलिक व अप्रकाशित.

Added by narendrasinh chauhan on March 22, 2018 at 1:13pm — 4 Comments

तपस्या

क्या यह मुझे जानने में मदद करेगा
वहां उनकी हंसी है
रिक्त स्थान में भर
हवा में फसी

क्या यह मुझे सीखना शांत करेगा
हर जगह से आनंद के फैल  आँसू
दिल खुश से विस्फोट
जैसा कि यह केवल उचित है.

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by narendrasinh chauhan on June 1, 2017 at 4:08pm — 1 Comment

मुझे

ईर्ष्या 

कृपया मुझे छोड़ दें

मुझे मुक्त चलने दें 

तेरी  समझ से

ईमानदारी

कृपया मुझे में भर

मेरे शब्दों को मुक्त कर 

उस विश्वास के साथ

मूर्खता

कृपया मुझे छोड़ दें

मुझे दो बार सुन लेकिन बोल

एक आवाज़ के साथ

अखंडता

कृपया मुझे सशक्त कर

मेरे दिमाग और शरीर को ऊपर ले

सही विकल्प बनाने के लिए

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by narendrasinh chauhan on May 27, 2017 at 10:30am — 1 Comment

तुम

यह तुम्हारी आंखें है

यह तुम्हारा मुंह है

यह तुम्हारी मुस्कुराहट है

तुम्हारा दिल

तुम्हारी  हंसी

लेकिन यह मेरा दिल है

मेरा डर

यह मेरा प्यार है

मेरी उम्मीद

मैं जिसके लिऐ  हूँ

Added by narendrasinh chauhan on May 26, 2017 at 9:57am — 2 Comments

मैं

जब यहां खड़े हो रहे हैं
तुम्हारे साथ
मुझे नहीं पता क्या करना है
या कौन हूँ 
खो गया और टूटा हुआ
आदमी
बाहर जोड़े अपने
हाथ
मुझे नहीं पता
कब बारी है
मुझे बहा दिया गया 
आपके द्वारा 
कुचला और टूटा भी
अब मुझे नहीं पता कि मैं कौन हूँ ...

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by narendrasinh chauhan on May 24, 2017 at 12:30pm — 3 Comments

साहस

कविता ने 

चूमा

उसके 

दिल को 

मायनों में

एक आदमी में 

कभी नहीँ

था

इतना 

साहस

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by narendrasinh chauhan on May 8, 2017 at 12:34pm — 5 Comments

एक प्रयास

भरा विश्व सारा मेरे नयन में ,

गगन का विश्राम है मेरे नयन में .

तिरस्कार सामने है मैत्री की सगाई

करुणा सागर है मेरे नयन में

धनुष मेघ जीवन का है ऐसा रचा

सफल रंग लहराता मेरे नयन में

कर्तव्य वृक्ष है उपवन में उगे

खिले स्नेह पुष्प है मेरे नयन में

बदले थे पथ विभन्न जन्म में

नया एक पथ है मेरे नयन में

न करना न सहेना , रोना न खेलना

मुक्तीकी छाया है मेरे नयन में...................…

Continue

Added by narendrasinh chauhan on May 5, 2015 at 3:00pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service