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Dr. Vijai Shanker's Blog – December 2020 Archive (2)

दो लघु कवितायें —डॉo विजय शंकर

( एक )

लोग राजनीति में बड़े - बड़े

बदलाव लाने के लिए आते हैं।

सत्ता में आते ही कद-काठी ,

डील-डौल , रंग-रूप , वाणी ,

पहनावा सब बदल जाते हैं ,

सबसे बड़ी बात , चेहरे - मोहरे

और इरादे तक बदल जाते हैं।



( दो )

वह गतिमान है ,

चलते रहना उसकी प्रकृति।

वह समय है , गुजर जाता है।

पर अतीत को छोड़ जाता है ,

और छोड़ जाता है ,

अतीत के अवशेष, धरोहरें,

स्मृतियाँ , स्मारक , कहानियां।

समय प्रति क्षण चलायमान…

Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on December 17, 2020 at 9:30am — 6 Comments

कौन हो तुम — डॉo विजय शंकर

ओजस्वी तेजस्वी

से दिखाई देते हो ,

अपनी जयकार से

आत्म मुग्ध लगते हो।

आईने में खुद को

रोज ही देखते हो ,

क्या खुद को

कुछ पहचानते भी हो।

बड़े आदमी हो , बहुत बड़े ,

लोग तुम्हें जानते हैं ,

बच्चे सामान्य ज्ञान के लिए

तुम्हारा नाम रटते और जानते हैं ,

रोज कितने ही लोग तुम्हारी ड्योढ़ी

पर खड़े रहते हैं , टकटकी लगाए ,

कितने आदमी तुमसे रोज ही

मिलने के लिए आते रहते हैं ,

तुम भी कभी किसी से

आदमी की तरह मिलते हो…

Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on December 4, 2020 at 11:28am — 8 Comments

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