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Mukulkumar Limbad's Blog (2)

चलो सहियर

छंद - मंदाक्रान्ता

(मातारा भानस नसल ताराज ताराज गागा = 17 वर्ण)यति =4,10,17

मेेले में ओ सहियर चलो आज जाए गुमेंगे,

आया है ये दिन लहरका मोज मस्ती करेंगे,

मेले की है रमझट बड़ी आ टहेले वहाँ पे,

खोजे मेरा प्रियतम मुझे ओ सखीरी चलो रे|

भागी भागी गुपचुप सखी मैं, बात कोई न जाने,

पानी का लें घट झपट से, लौटना जल्द माने,

मैंने लाई यह तुज लिए हा नयी ओढनी रे,

देखो कैसी तुम पर झझती ओढ ले ओढनी रे|

देखें मेला सहियर चलो ना रहे…

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Added by Mukulkumar Limbad on August 27, 2020 at 8:30pm — 3 Comments

मृग-बादल (तोटक छंद)

छंद - तोटक

(सलगा सलगा सलगा सलगा = 12 वर्ण)

नभ बादल बादल आज यहाँ,

चमकार करे सुन वीज यहाँ,

नभ काजल काजल मेश हुआ,

दिलका दव ठार तु यही दुआ|

मृग-बादल आज महेर दया,

दिलसे बरसो अब छोड़ हया,

गजराज जरा गरजे नभमें,

वनराज फिरे फिरसे वनमें|

टपके जलबुंद हजार कहीं,

झमकार सुनो जलधार यही,

जल-चुंबन अंबर से बरसे,

पल ये पल को धरती तरसे|

मधु सोडम जो प्रसरी भुवने,

तन वो मन हाश भरे सुखमें,…

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Added by Mukulkumar Limbad on August 24, 2020 at 11:30pm — 5 Comments

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