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Mohammed Arif's Blog (84)

हाइकू (आरिफ मोहम्मद)

1.

सौंधी महक
मिट्टी पड़ी गिरवी
विदेशी चाल ।

2.

बाज़ार भाव
रोज़ की घट-बढ़
है सोची चाल ।
3.

होली दस्तक
अब रंगों में हिंसा
फैला तनाव ।

4.

नंगा बदन
फैशन का कमाल
धन की लूट ।

5.

कहाँ को जाएँ
लूटी हुई है शांति
दिशा बेहाल ।

.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Mohammed Arif on February 3, 2017 at 8:30am — 10 Comments

कविता-एक कविता लिखना चाहता हूँ

धूल , मिट्टी और गारे से सनी

एक कविता लिखना चाहता हूँ

इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ

मिट्टी की सौंधी महक वाली

गोबर से लीपे आँगन वाली

एक कविता लिखना चाहता हूँ

इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ

टूटे खाट पर बैठी

जाड़े में धूप सेंकती

सौ बरस की बुढ़िया पर

एक कविता लिखना चाहता हूँ

इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ

कुएँ , चौपाल , चरवाहें

खूँटे से बंधे चौपायों पर

एक कविता लिखना चाहता हूँ

इस आपाधापी से बचना चाहता हूँ

आम , इमली , नीम ,…

Continue

Added by Mohammed Arif on January 17, 2017 at 10:30pm — 7 Comments

ग़ज़ल (बहुर-फेलुन फेलुन फेलुन फा )

आगे-आगे बढ़ता चल ,
ग़ैरों की भी सुनता चल ।
बिछुड़ गये जो राहों में ,
फिर तू उनसे मिलता चल ।
तूफाँ से टकराना है ,
हिम्मत कर तू बढ़ता चल ।
नफ़रत के शोलों में भी ,
गीत वफ़ा के लिखता चल ।
माना तेरे दुख बेहद ,
फूलों जैसा खिलता चल ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Mohammed Arif on January 5, 2017 at 11:23pm — 13 Comments

दीमक (लघुकथा)

नई बहू राधिका को कुछ समय ही ससुराल में बीता था कि राधिका ने देखा कि उसके ससुर देवीप्रसादजी बडे़ शांत स्वभाव वाले, मिलनसार और कर्मठता की जीती-जागती तस्वीर हैं। ससुर जी के इस व्यक्तित्व ने राधिका के ऊपर गहरा प्रभाव डाला।  देवीप्रसादजी की उम्र लगभग अस्सी से भी अधिक हो चुकी थी। लेकिन उनका शरीर चुस्ती -स्फूर्ति का बेजोड़ नमूना था। वे हमेशा घर का सारा काम करते, उठा-पटक करते, घर की चीजों को संभालते। दिन-दिन भर बगिया के झाड़- झंखड़ हटाते, पौधों को पानी देते कुल मिलाकर देवीप्रसाद राधिका को हमेशा काम…

Continue

Added by Mohammed Arif on August 29, 2016 at 6:30pm — 7 Comments

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