For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Abhay Kant Jha Deepraaj's Blog – December 2010 Archive (20)

GHAZAL - 22

                       ग़ज़ल





फ़र्ज़  के  पैगाम  का  बस,  उम्र  भर  ये  स्वर  सुना  है |

युग विजेता बन  मनुज  तू ,  जिसने ये अम्बर बुना है ||



वो  कि -   जो  बैठे  हुए  थे   खुद   किनारों  पर   कहीं,

कह  रहे  थे -   खास  गहरा  नहीं  ये  सागर,  सुना  है ||



कल  न  जाने  बात  क्या  थी ?  आसमां  नीचा  लगा,

आज  जब  उँचाई  उसकी  नाप  ली  तो  सिर  धुना  है ||



लौट  कर  आया  नहीं,  उस  ख़त  के  बदले  कोई…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 7:46pm — 1 Comment

GHAZAL - 21

ग़ज़ल





भारत  माता  माँग  रही  है - इस  नीति  से  पूर  विधान |

जिसमें हों सब  भाई बराबर, जाति - धर्मं से दूर, समान ||



जिसमें किसी की हो न उपेक्षा, मिले बराबर का अधिकार,

सब  हों  माँ  के एक से बेटे- अधिकारी, मजदूर, किसान ||



तंग  दिलों  से  बाहर  आ  कर, आओ,  रचें हम वह संसार.

जिसमें  सुख की हो सुगंध पर हों न दुखों के क्रूर निशान ||



बात   जोहती   है  भारत माँ , बेटों   के  इस   न्याय   का ,

जिसकी …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 11:35am — 2 Comments

GHAZAL - 20

                    ग़ज़ल





मेरे  दिल  को  जलाने  वाले,  खुदा  तेरा  भी  दिल  जलाए |

मुझे जो तूने दिया है ये गम, तेरे भी दिल को सुकूँ न आये ||



मेरी  मुहब्बत  न तूने समझी, मुझे जो तूने दिया है ये गम,

खुदा तुझे भी अमन न बख्शे , तेरे चमन को खिज़ां जलाये ||



मेरी  वफ़ा  को जूनून  कहकर, मुझे जो तूने कहा है पागल,

तुझे   सजा   दे   खुदाई   इसकी, दर्द  तुझको  गले लगाए ||



जफा  के  खंज़र, का ये कातिल, दर्द क्या…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 11:05pm — No Comments

GHAZAL - 19

                 ग़ज़ल





दोस्तों, कुछ  रात  ऐसी  भी थी, जब  सोया  नहीं  मैं |

दर्द  से  तड़पा  बहुत  पर  चीख  कर  रोया  नहीं  मैं  ||



कोई  शीशा  सा  तड़क  कर,  टूट, दिल  में  आ चुभा,

इसलिए  उस  रात भर तक, ख्वाब में खोया नहीं मैं ||



कौन सी मंजिल है किसकी और कहाँ किसका मकाँ ?

कौन  है  इस  राह  पर  भटका  हुआ, वो  या  कहीं मैं ?



ज़िन्दगी   के   मायने,  अहसान …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 10:55pm — 2 Comments

GHAZAL - 18

                       ग़ज़ल





न  जाने  कब  वो  समझेंगे  मुहब्बत  मेरे इस दिल की |

सताती  है  बहुत  मुझको,  अदा  
ये  मेरे  कातिल  की ||



ज़माना  देख  कर  मुझको,  पलट  कर  के  उलझता  है,

नज़र   मेरी   तरफ   उठती  नहीं  पर  मेरी  मंजिल  की ||



जिन्हें   मेरी   तमन्ना   है,  मेरी   चाहत   नहीं  हैं  वो,

मेरी  चाहत  की  चाहत  मैं  नहीं, है  बात …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 22, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

GHAZAL - 17

                  ग़ज़ल



प्रश्न   मेरे  सामने  यह   एक   अन्धा   सा   कुआँ    है |

क्या हुआ जो दोस्त था कल आज वो दुश्मन  हुआ  है ||



जिसने  दी  थी  कल  खुशी, वो  आज  आँसू दे रहा,

ये   न  जाने   किसकी   मेरे   वास्ते एक …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 20, 2010 at 3:00am — 2 Comments

GHAZAL - 16

                    ग़ज़ल



रात - रात  भर  सोते - जगते,  मैंने   उसे   मनाया   है |

फिर भी खुदा न मेरा अब तक, सिर  सहलाने  आया है ||



कहते हैं- मालिक ने हमको, तुमको, सबको, जन्म दिया,

पर  लगता  है - कोई  वो पागल था जिसने भरमाया है ||



एक …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 19, 2010 at 12:00am — 2 Comments

GHAZAL - 15

                   ग़ज़ल



मैं   दर्दों   का   समंदर   हूँ,  ग़मों  का  आशियाना   हूँ |

मैं  जिंदा  लाश  हूँ , बीमार  दिल , घायल  फसाना हूँ ||



बदन  पर  ये  हजारों  ज़ख्म, तोहफे  हैं  ये  अपनों के,

मैं  जिनके  प्यार  का  बीमार, आशिक हूँ , दिवाना हूँ ||…



Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 9:30pm — 1 Comment

GHAZAL - 14

                               ग़ज़ल



बहुत  विषैला  है  विष  यारो,  दुनिया   की  सच्चाई  का |

आखिर,   कैसे  दर्द  सहें  हम,  दिल  में  फटी बिवाई का ||



बनकर  इन्सां  जीते - जीते  खुद  को  हमने  लुटा  दिया,

फिर  भी  तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||…



Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 2:00am — 2 Comments

GHAZAL - 11

                       ग़ज़ल





दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |

तुझमें    ही    सारी   दुनिया,   और    मेरा    संसार    है ||



प्यार है इतना नज़र से ,   दिल   तलक   तेरे   वास्ते ,

ज़र्रे - ज़र्रे    में    तेरा    ही    अक्श    एक    दरकार   है ||…



Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 5

                          ग़ज़ल



मीत   मेरे   मैं   तुम्हारी   रूह   का   श्रृंगार   हूँ |

प्यार हो तुम मेरे दिल का, मैं तुम्हारा  प्यार हूँ ||



हर   ख़ुशी  और  राह  मेरी,   मीत  मेरे  एक है,

तू मेरा आधार  प्रियतम,  मैं   तेरा  आधार  हूँ ||



तू…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — No Comments

GHAZAL - 13

                     ग़ज़ल



इस  तरह  तोड़ा  हमारा   दिल    हमारे   प्यार   ने.|

जैसे  क  जीने  का  हम  से  ले  लिया  संसार   ने || 



जिंदगी  को   आज  जकड़ा,  इस  तरह  तूफ़ान  ने,

ले  लिया  आगोश  मैं  मुझे  दर्द  के  …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

GHAZAL - 12

                               ग़ज़ल





आ  जाओ  हमारी  बांहों  में,   कुछ   प्यार   मोहब्बत   हो  जाये |

ये    प्यार   इबादत   होता   है,  आओ   ये   इबादत  हो   जाये ||



दुनिया  से  भला  क्या   घबराना, जलता  है  कोई  तो  जलने  दो.

आ  जाओ  मिला  लें  दिल  से दिल,  दुनिया से…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 13, 2010 at 12:30am — 1 Comment

GHAZAL - 10

                           ग़ज़ल





महबूब   मेरे   सूरत   तेरी,   मुझे   इतनी   प्यारी   लगती   है |

सौ  जन्मों  से  भी  पहले  की,  तेरी  -  मेरी   यारी   लगती   है ||



तेरा  प्यार  मेरी रग़ - रग़ में बसा है, बन के नशा हमराज़ मेरे,

एक  पल  की   भी  तन्हाई  मुझे,  कातिल …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30pm — No Comments

GHAZAL - 4

                                   ग़ज़ल



छोटे  से  दिल  में  दुनिया  का,   दर्द   छुपाये  फिरता  हूँ |

आंसू  के   फूलों  से   अपनी,   लाश   सजाए   फिरता  हूँ ||



अपना  बनकर  दिल  को  लूटना,  है  दस्तूर ज़माने का,

मैं  ऐसे  ही  कुछ  रिश्तों  पे,  खुद  को  लुटाये फिरता हूँ…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 3

                                 ग़ज़ल



हर  पल  दिल  ने  तुझे  पुकारा  है यूँ अय हमराज़ मेरे |

भींग   गए   हैं   रोते-रोते   आंसू   से   हर   साज़   मेरे ||



जी  करता  है -   इन  रश्मों  की  दीवारों  से  लड़ जाऊं,…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 12:30pm — 1 Comment

GHAZAL - 9

                                  ग़ज़ल



मित्रों , हमें ज्ञान का दीपक  घर-घर  आज  जलाना  होगा |

भटक  गयी है जो  मानवता ,  उसको  राह  दिखाना  होगा ||



दिल  से  दिल  को आज जोड़ना होगा हमको आगे बढ़कर,…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 2:00am — 1 Comment

GHAZAL - 2

                                ग़ज़ल



यारों ,   पापों  के  हिंडोले  की  यह  डोली   बहुत   बुरी   है |

होली  खेलो   मगर   खून  की  होली  यारों  बहुत  बुरी  है ||



तन से मानव बहुत मिलेंगे पर तुम बनना मन से मानव,

गोली  बनो  दवा  की …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30am — 2 Comments

GHAZAL - 8

                       ग़ज़ल



मेरी  मौत  के  बाद  मेरा  गम,  तुझको  बहुत सताएगा |

मेरे  दिल  का  ये  भोलापन,   तुझको   बहुत   रुलाएगा ||


आज  शरारत  मेरी  तुझको,  शायद  बोझिल  लगती हैं ,

कल   मेरी   ख़ामोशी   का   वो,…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 10, 2010 at 9:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 6

 

 

                                     ग़ज़ल

 

मैंने  दुनिया  की  दुश्मनी  देखी,  दोस्त  तू  भी  मुझे  भुला देना |

तेरे दिल को ये हक है चाहे तो,  मेरा   नाचीज़  दिल  जला  देना ||



तुझको हमराज़-हमनशीं कर के, मैंने खुशियों के ख्वाब देखे थे,

मुझसे गर भर गया हो…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 9, 2010 at 12:30am — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service