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Akhand Gahmari's Blog – October 2013 Archive (6)

आईना

जाने को तैयार ससुराल मैं,
देख रहा था आर्इना बार बार मैं।
सूझी तभी हमें  शरारत,
आइने से बोल पडा।
बता मेरे यार कैसा लग रहा मैं,…
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Added by Akhand Gahmari on October 31, 2013 at 8:00pm — 8 Comments

सकून के दो पल

दहकती ज्‍वाला,
तेज प्रकाश
जग को,हमकेा,आपकेा
सबकेा देता उजाला है
मगर बिल्‍कुल तन्‍हा
बिल्‍कुल…
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Added by Akhand Gahmari on October 29, 2013 at 9:29pm — 7 Comments

एक शब्‍द

वो कहते हैं

शब्‍द र्निजीव होते है,

बेजुबान होते है।

वो कहते है,

यह लेखनी से बने,

आकार भर है।

जुबान से निकली,

आवाज भर है।

ना इनकी पहचान है,

ना इनका अस्तिव।

मगर यारो शब्‍द तो शब्‍द हैं,

अक्षरों केा संगठित कर

खुद में समाहित कर,

वाक्‍य बना कर उसे

पहचान देते है।

और खुद गुमनामी के

अँधेरे में खो जाते है।

ये शब्‍द निस्वार्थ सेवा का

एक सच्‍चा उदाहरण है।

एक शब्‍द झकझोर…

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Added by Akhand Gahmari on October 28, 2013 at 7:30pm — 5 Comments

कवि की चाहत

सूरज की तपिश,

चॅाद की शीतलता,

फूलों की महक,

शब्‍दों से खुशी,

शब्‍दो से रास्‍ते,

दिखाता एक कवि है,

शब्‍दो केा माले में पिरोता,

एक कवि है,

फिर भी गुमनामी की जिन्‍दगी…

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Added by Akhand Gahmari on October 27, 2013 at 10:00am — 6 Comments

प्रतिबिंम्‍ब

चॉदनी रात में

खुले आसमान में

विचरण करते चॉंद को देख रहा था

कितना निश्‍चल कितना शांत

चला जा रहा है अपने रस्‍ते

पर प्रकाश से प्रकाशमान पर

ना ईष्‍या ना कुंठा,ना हिनता

प्रकाश दाता के अस्‍त पर

बन कर प्रतिबिम्‍ब उसका

अंधेरे को दूर कर उजाले के

लिये सदैव प्रत्‍यनशील

भले रोक ले आवारा बादल

उसका रास्‍ता

छुपा ले प्रकाश उसका

मगर फिर भी प्रत्‍यन कर

बादलो से निकल कर

पुन: धरती को, अंबंर को, मानव को…

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Added by Akhand Gahmari on October 26, 2013 at 10:30am — 6 Comments

आज का रावण

युगो युगो से जल रहा है रावण

मगर रावण आज तक मरा नही

जलते दिखाया रावण गत साल बाबा ने

मगर रावण अभी मरा नहीं

लूट रहा सरे राह सीता कि इज्‍जत

घूम रहा खुले आम है

मगर ,राम का अभी पता नहीं

युगो से जल रहा रावण

मगर आज तक रावण मरा नहीं

चला रहा तीर की जगह गोलीया अब वह ...

निर्दोश की जान लेने केा

औरतो केा बेवा बच्‍चों केा अनाथ कर रहा है

मगर ,राम का अभी पता नहीं…

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Added by Akhand Gahmari on October 23, 2013 at 9:00pm — 7 Comments

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