For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिलीप कुमार तिवारी's Blog – July 2013 Archive (4)

गज़ल / दिलीप तिवारी

ग़मों के घाव अभी भरे नही i
दवा में लगता मिला ज़हर है i i

बेनाम बस्ती में लोग रहते है  i
उन्ही बस्तियों से बना शहर है  i i

आदमी -आदमी को नहीं जाना  i
ज़िन्दगी सात दिनों का सफ़र है  i i

नदियाँ  भी डरती है भरने से  i
उनसे लगी बड़ी सूखी नहर है  i i

खामोश आज सभी हवायें है  i
वक़्त का उनपर भी असर है  i i

मै  भूला अपना रास्ता आज  i
पता नहीं जाना मुझे किधर है  i i

मौलिक /अप्रकाशित

दिलीप कुमार तिवारी

Added by दिलीप कुमार तिवारी on July 16, 2013 at 10:37pm — 7 Comments

सरस्वती आराधना /दिलीप तिवारी

वीणाधारी  विद्यावाली , मातु शारदे तुम्हे नमन i 

शव्द अर्थ के पुष्पों का ,व्याकरण बना तुमको अर्पण i i 

संज्ञाए सेवाये करती ,सर्वनाम तेरे अनुचर i

क्रिया विशेषण की तारों से ,निकले वीणा के स्वर i i

नवरस के घुगरू प्यारे अलंकार  की है झांझर i

काव्य गद्य श्रगारित तुमसे ,गीतवना  महिमा गाकर i i

अनुपम छटा सवाँरे  ,भाषाए है चरणो पर i

आलोडित मन मंदिर मेरा नेह सुधा तेरी पाकर i i

मुझको तेरा वरदान मिले ,चरणों में तेरे स्थान मिले i 

शीख रहा माँ कविता  करना ,अंतर मन…

Continue

Added by दिलीप कुमार तिवारी on July 15, 2013 at 8:22pm — 5 Comments

आनंद / दिलीप कुमार तिवारी

आनंद जीवन है , शब्द मात्र नहीं

संसार के बियाबान  सुनसान  अधेरी राहों  में,

रोशनी की तरह इसकी तलाश  है

हम तुम यह जग जबसे है आनंद आस -पास है



ये उजड़ी गलियों में भी था ,थकी हुई सडको में भी है , तुम्हारे पगडण्डी में भी है i

बस इसे पाने का विश्वाश खो गया है ,हमारा अपनापन इससे कितनी दूर हो गया है i



कही हम इसे  बदनाम बस्तियों में ढूढ़ते है 

कही हम अपने से बड़ी हस्तियों में ढूढ़ते है

अल्पकालीन किन्तु सर्वव्याप्त है  

जितना मिला क्या…

Continue

Added by दिलीप कुमार तिवारी on July 14, 2013 at 7:30pm — 3 Comments

तलाश

अंतर मन में

अनंत  इच्छाएँ

बिल्कुल समन्दर

की लहरों की तरह

ठीक कुछ समय बाद

समाप्त हो जाती है

ऐसा लगता है कि

कितनी अपेक्षा से

प्रकृति ने जिन भावों

को जगाया था मन में

उन भावों को सपनो में

सजोकर बंदकर

अलसाई उनीदी आखे

फिर सोजाती है

तलाश है उस नीद की

जो  संतुष्टि के बाद

खुले आसमान के नीचे

बैभव से दूर बसुधा की माटी में

माँ के आँचल की तरह सुलाती है

सहलाती…
Continue

Added by दिलीप कुमार तिवारी on July 7, 2013 at 8:00pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service