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Mohammed Arif's Blog – July 2018 Archive (3)

बारिश की क्षणिकाएँ



(1) बूँदें नहीं

चाँदी के सिक्के गिरते हैं

बादलों की झोली से

और धरती लूट लेती है ।

*******

(2) वर्षा कुबेर

दोनों हाथों से लुटाता है

वर्षा -धन

नदियाँ, सरोवर और तालाब

लूटकर संग्रहित कर लेते हैं ।

*******

(3) बारिश की आत्मकथा

साल भर लिखते रहते हैं

पेड़-पौधे और हरियाली ।

*******

(4) बारिश की बूँदें

नई धुनें

तैयार करने लगती है

राग-मल्हार के लिए ।

*******

(5) बारिश का

अहसास कब होता है ?

जब…

Continue

Added by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 8:36am — 27 Comments

बारिश के हाइकु



(1) ख़त्म तपन

हरा हुआ चमन

मचले मन ।

******

(2) भीगी है रात

बादलों की बारात

हो मुलाक़ात ।

******

(3) खेत-मैदान

हरियाली मचले

जीवन चले ।

******

(4) कहीं बरसे

मन मौजी बादल

धरा को बल ।

******

(5) नदियों में है

लहरों का यौवन

जल का धन ।

******

(6) घर-आँगन

जल की मनमानी

जीने की ठानी ।

******

(7)ककड़ी-भुट्टे

मन को ललचाते

सबको भाते ।

*******

(8) बूँदें…

Continue

Added by Mohammed Arif on July 4, 2018 at 8:54am — 21 Comments

ग़ज़ल बह्र फेलुन×5+फा



शैतानों की देखो दावत करता है

पापी है पर जन्नत जन्नत करता है ।

*******

कोई तुझे न देखे अच्छी नज़रों से

क्यों तू ऐसी वैसी हरकत करता है ।

*******

क्या होता है हाथों की रेखाओं में

मिहनत कर क्यों क़िस्मत क़िस्मत करता है ।

*******

काली काली बदली जब भी छाये तो

दहक़ाँ फिर बारिश की हसरत करता है ।

********

भेद नहीं है कोई उसकी नज़रों में

फिर क्यों तू औरों से नफ़रत करता है ।

*******

अता किया सबकुछ क़ुदरत ने उसको पर

वो तो…

Continue

Added by Mohammed Arif on July 1, 2018 at 4:22pm — 13 Comments

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