For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sulabh Agnihotri's Blog – June 2016 Archive (11)

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 9 (1)

.............. कल से आगे



‘‘उठो वत्स रावण !

‘‘तुम दोनो भी उठो कुंभकर्ण और विभीषण !’’

आवाज सुन कर तीनों अचंभित हुये, यह किसकी आवाज थी। यह तो पहले कभी नहीं सुनी थी। कितनी गंभीर फिर भी कितनी मृदु।

‘‘आँखें खोलो वत्स ! अपने प्रतितामह से साक्षात नहीं करोगे ?’’

तीनों ने आँखें खोल दीं। सामने सच में ब्रह्मा खड़े हुये उन्हें आवाज दे रहे थे। ठीक वही छवि जैसी मातामह ने बताई थी। कमर में गेरुआ अधोवस्त, कंधे पर यज्ञोवपीत अत्यंत गौरवर्ण, लंबा कद, लंबी सी धवल दाढ़ी और सुदीर्घ…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 29, 2016 at 9:39am — 1 Comment

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 8

.............................. कल से आगे

‘‘महाराज थोड़ा सा राजभोग और लीजिये, मैंने अपने हाथों से बनाया है।’’ कैकेयी ने अनुरोध किया।

दशरथ और कौशल्या भोजन पीठिकाओं पर बैठे थे। कैकेयी परोस रही थी। दासियाँ पीछे हाथ बाँधे खड़ी थीं।

‘‘नहीं महारानी बहुत हो गया। अब नहीं खा पाऊँगा।’’

‘‘बहुत कैसे हो गया। थोड़ा सा तो लेना ही पड़ेगा।’’ कैकेयी ने जबरदस्ती राजभोग की एक कटोरी और रखते हुये कहा।

‘‘ले भी लीजिये न महाराज। आप तो राजभोग का ढाई सेर का पतीला एक साँस में खाली कर डालते…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 28, 2016 at 9:37am — 2 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 7

................... कल से आगे

‘‘हाँ ऐसे ! बहुत सुन्दर कुंभकर्ण !’’ सुमाली रावण और कुंभकर्ण को योग का अभ्यास करवा रहा था। कुंभकर्ण को अभी यहाँ आये तीन साल ही हुये थे। इस समय वह 8 साल का हो गया था। वह अभी से शारीरिक रूप से चमत्कारिक रूप से वृहदाकार था। केवल वृहदाकार ही नहीं था, अविश्वसनीय बल का स्वामी भी था। अभी से वह अच्छे-भले मनुष्य को परास्त कर देने की सामथ्र्य रखता था। उसकी माता के लिये उसे गोदी में उठाना क्या हिलाना तक संभव नहीं था। स्पष्ट दिख रहा था कि आने वाले समय में उसके समान…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 27, 2016 at 10:04am — 3 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 6 (3)

कल से आगे ..........................

‘‘नहीं चाहिये मुझे आपसे न्याय।’’ महंत जी फुफकार उठे।

‘‘बैठ जाइये महंत जी।’’ कैकेयी के स्वर के तीखेपन से महंत जी सकपका गये, वे बैठ गये।

‘‘हाँ महामात्य जी आप आगे पूछिये।’’

‘‘हाँ तो क्या नाम बताया तुमने अपना ?’’

‘‘जी गोकरन।’’

‘‘तो गोकरन ! पकवान भी ऐसे ही बताये होंगे जो कभी तुम्हारी माँ ने देखे भी नहीं होंगे ?’’

‘‘जी महन्त जी ने ही हलवाई भेजे थे, उन्होंने ही बनाया था सब कुछ। मुझे तो बहुत सी चीजों के नाम ही नहीं…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 26, 2016 at 9:26am — No Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 6 (2)

कल से आगे ................

‘‘घर तुमने किससे क्रय किया था ?’’

‘‘किसी से नहीं !’’

‘‘मतलब ? जब खरीदा नहीं था तो फिर तुम्हारा कैसे हो गया ?’’

‘‘पुरखों से मिला था। हम लोग कई पीढ़ियों से उसी में रह रहे हैं।’’

‘‘कितने लोग रहते हैं सब कुल उस घर में।’’

‘‘जी ... जी ... ?’’

‘‘अरे कितने लोग रहते हैं उस घर में ? सीधा सा तो प्रश्न है।’’

‘‘जी ! हम पति-पत्नी, हमारे तीन बेटे, तीन बहुयें, दो अनब्याही कन्यायें और ....’’ वह उँगलियों पर कुछ हिसाब जोड़ता रहा, फिर बोला -…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 25, 2016 at 9:40am — No Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 6 (1)

‘‘महामात्य ! यह मैं क्या सुन रही हूँ ?’’ कैकेयी के स्वर में असंतोष झलक रहा था।

कैकेयी को विवाह होकर अयोध्या आये हुये 8 बरस बीत गये थे। अब वह सत्रह वर्षीय किशोरी से एक परिपक्व साम्राज्ञी में परिवर्तित हो गयी थी। समय के साथ-साथ दशरथ के हृदय और अयोध्या के प्रशासन पर भी उसकी पकड़ सुदृढ़ होती गयी थी। उसे समाज और राजनीति की गुत्थियाँ सुलझाने में आनन्द आने लगा था। इस समय वह अपने प्रासाद में अयोध्या के महामात्य जाबालि के साथ बैठी हुई थी।

‘‘क्या महारानी जी ? मैं समझ नहीं पाया।’’ आमात्य जाबालि…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 24, 2016 at 9:05am — No Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 5

कैकसी तीन साल के रावण को लेकर आई हुई थी। साल भर का कुंभकर्ण भी उसकी गोद में था। विवाह के बाद पहली बार वह आई थी। ऐसा नहीं था कि इस बीच उसका इन सबसे कोई सम्पर्क नहीं रहा था। सौभाग्य से विश्रवा का आश्रम सुमाली के ठिकाने से एक प्रहर की दूरी पर समुद्र में एक छोटे से टापू पर था। प्रत्येक दो-तीन माह के अन्तराल पर प्रहस्त आदि में से कोई भी भाई नाव लेकर जाता था और उससे मिल आता था। सुमाली कभी भी मिलने नहीं गया था, उसे डर था कि कहीं विश्रवा उसे पहचान न लें। कैकसी भी मुनि के साथ व्यवहार में पूर्ण…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 23, 2016 at 11:07am — 2 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 4

केकय नरेश अश्वपति ब्रह्मज्ञानी के रूप में विख्यात थे। बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी इस संबंध में उनसे राय लेने आते रहते थे। कहते तो यहाँ तक हैं कि उन्हें पशु-पक्षियों की बोलियाँ भी आती थीं। एक कथा प्रचलित है कि एक बार अश्वपति महारानी के साथ बगीचे में टहल रहे थे। बगीचे में पक्षियों की चहचहाहट एक स्वाभाविक ध्वनि होती है। अचानक महाराज हँस पड़े। महारानी असमंजस से पूछ बैठीं -

‘‘महाराज मैंने कोई हास्यास्पद बात तो नहीं की जो आप हँस रहे हैं।’’

महाराज ने हाथ से उन्हें शान्त रहने का इशारा किया और बड़े…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 22, 2016 at 9:38am — 4 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 3

21.06.2016 कल से आगे .....

महाराज दशरथ की आयु प्रायः 35 वर्ष की हो चुकी थी। महारानी कौशल्या से विवाह किये 11 वर्ष गुजर गये थे किंतु अयोध्या को अभी तक उत्तराधिकारी प्राप्त नहीं हुआ था। एक दिन सोते हुये अचानक वे चैंक कर उठ बैठे। उन्होंने अजीब स्वप्न देखा था। उनकी माता इन्दुमती और पिता अज उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे कि वे अभी तक पितृ ऋण नहीं चुका पाये हैं। माता की तो वस्तुतः उन्हें कतई याद ही नहीं थी, बस चित्रों में ही उन्हें देखा था। पिता बताते थे कि बहुत छोटे बालक थे तभी माता स्वर्गवासी…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 21, 2016 at 10:14am — 5 Comments

राम-रावण कथा (पूर्व-पीठिका) - 2

माल्यवान और सुमाली रक्ष संस्कृति के प्रणेता हेति और प्रहेति के प्रपौत्र थे।

रक्ष संस्कृति का प्रादुर्भाव यक्ष संस्कृति के साथ एक ही समय में एक ही स्थान पर हुआ था। पर कालांतर में उनमें बड़ी दूरियाँ आ गयी थीं। यक्षों की देवों से मित्रता हो गयी थी और रक्षों की शत्रुता। रक्ष या दैत्य आर्यों से कोई भिन्न प्रजाति हों ऐसा नहीं था किंतु आर्य क्योंकि देवों के समर्थक थे (पिछलग्गू शब्द प्रयोग नहीं कर रहा मैं) इसलिये उन्होंने देव विरोधी सभी शक्तियों को त्याज्य मान लिया। कुछ-कुछ वैसे ही जैसे कालांतर…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 20, 2016 at 8:39am — 4 Comments

राम-रावण कथा

पूर्व-पीठिका

==========

-1-

‘‘ए ! कौन हो तुम लोग ? कैसे घुस आये यहाँ ? बाग खाली करो अविलम्ब !’’ यह एक तेरह-चैदह साल की किशोरी थी अपनी कमर पर दोनों हाथ रखे क्रोध से चिल्ली रही थी। क्रोध होना स्वाभाविक भी था। तकरीबन चार-पाँच सौ घुड़सवारों ने उसके बाग में डेरा डाल दिया था। जगह-जगह घोड़े चर रहे थे। कुछ ही बँधे थे, बाकी तो खुले ही हुये थे किंतु उनके सबके सामने आम की पत्तियों के ढेर लगे थे। तमाम डालियाँ टूटी पड़ी थीं। बहुत से लोग पेड़ों पर चढ़े हुये आम नीचे गिरा रहे…

Continue

Added by Sulabh Agnihotri on June 19, 2016 at 7:53pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service