For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आ० राजेश कुमारी जी के निवास पर कुछ यादगार पल

Views: 262

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 5, 2014 at 10:20pm

ओहहो सौरभ जी को बाग़ नहीं दिखाया !!!!!!!!!

फिर तो दो नन्हे-नन्हे जीवों से भी यकीनन नहीं ही मिलवाया होगा :((((

हा! हा! हा !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2014 at 5:38pm

आ० सौरभ जी  आप ने सही कहा उस वक़्त हम सभी काव्य सागर में डुबकियाँ लगाने में इतने व्यस्त हो गए थे की घर के बाहर ही नहीं निकले बाद में ये ख्याल मन में आया भी था|चलो अबकी बार गार्डन में ही काव्य गोष्ठी रखेंगे आपको जल्दी ही इनवाईट करुँगी | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 5, 2014 at 5:23pm

अच्छा, तो आदरणीया राजेशजी ने मुझे अपना ये बाग नहीं दिखाया था !

:-)))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 5, 2014 at 4:55pm

आ० राजेश जी,

इस मुलाक़ात के लिए थैंक्स एक-दूसरे को नहीं बल्कि समय को ही देना चाहिए....कि एक तरफ तो आप भी मुम्बई से वापिस आ गयी थीं और वहीं दूसरी तरफ मेरे पतिदेव को भी आपके घर के बिल्कुल पास ही में कुछ ऑफिशियल काम था...तो मसूरी से लौटते हुए ये खूबसूरत इत्तेफाक ..अचानक एक छोटी और मधुर मुलाक़ात में परिणत हो सका.

सच में वो पल जब कोइ अपना अपनी सी बातें करता है..समझता है..और हमें जो हम हैं वैसे ही सचमुच पहचानता है तो आसपास की सकारात्मकता हमें जिस उल्लास ऊर्जा सुकून आह्लाद से भर देती है...वो शब्दों के परे ही होता है.

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2014 at 3:22pm

रीयली अविस्मर्णीय पल थे वो शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती कि मुझे वो पल कितने अच्छे लगे.thanks for visit dear.  

Comment by Meena Pathak on June 5, 2014 at 3:06pm

बागों में बहार है   :-)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service