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"हर एक दोहा आपकी गहन दृष्टि की बात कह रहा है , किसी भी एक को कोट करने से दूसरों के सा…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

" प्रदत्त चित्र से लिए भावों का सटीक चित्रण ,  शिल्पगत मार्गदर्शन गुणीजन दे ही देंगे…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"दाना-पानी के लिए, मेहनत करे ख़ूब।सबसे नाते खो दिये, ख़ुदा भर मेहबूब।।//दाना पानी के…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"//हम आवारा-बेहया, कहता जगत कुरूप इधर हमारा भाग्य भी, मई-जून की धूप //....  गुस्से के…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"प्रदत्त चित्र अनुरूप सटीक भावों को संप्रेषित करती रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरण…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"पानी तन की चाहना,पानी जीवन चाहपानी से ही जीव है,सांस -सांस की राह.....सुन्दर भाव गली…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"हैं सब चारों ओर,कमी में जल की अकड़ेपाने जीवन धार,खड़े हैं बर्तन पकड़े।.....सार्वजानिक ज…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

" पहुंचा  बालक गांव से, दोपहरी का ताप। तड़प गया पानी बिना, नल भी करे विलाप॥  ..बालक की…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"दोहा गीत  भरने भूखे पेट को ,आया नल के पास  वो भी है रूठा हुआ ,किस दर जाए प्यास बाग़…"

pratibha pande replied May 20, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

" दोहा गीत  लोहा सरिया पीटता  ये बूढा लोहार  कील हथौड़ा धौंकनी ,इसका ये संसार  स्वाल…"

pratibha pande replied Apr 15, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 60

290 Apr 16, 2016
Reply by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"

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दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
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"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
8 hours ago
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"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago

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मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
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मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
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