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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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अजोर क अगोर (अलका तिवारी)

फुटली किरिनियाँ न उगली अजोरिया, कि अबहीं झोपडिया अन्हार हो , कुकरों न भात पूछे बाबू के दुवरवा . वहीँ मरी जायीं भूखे अपने अंगनवा, हम औ ह…

Started by Admin

0 Nov 4, 2010

कवन कारन से दुखी हम ,

कवन कारन से दुखी हम , समझ ना पईनी का बाटे गम , कवन कारन से दुखी हम , जे चाहनी उहे हम पवनी , अपना अगुंली पे जग नचावानी , आगे पीछे हमारा सब ल…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Oct 29, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

मौत एगो सत्य ,

मौत एगो सत्य , जवन सवीकार नइखे , आई निश्चित बा , बाकिर बुझात नइखे , मौत एगो सत्य , जवन सवीकार नइखे , बचपन खेल कूद में , जवानी बीतल मस्ती मे…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Oct 28, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

भोजपुरीया अब गुरु रहिआन ,

भोजपुरीया अब गुरु रहिआन , आउर कही इ लिखिहन ना , हरदम सजग रहिआन , दू पार्ट में अब पिसाये से बचिहन , आपन भाषा आपन बोली , हम सबका के समझाइब ,…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Oct 21, 2010

मेहमान देव के स्वरुप होले ,

सुनले रहनी हम , मेहमान देव के स्वरुप होले , आवस ता उनके बईठाइ , खुबे बढ़िया जेवाई , इ सब कईला से प्रभु खुश होले , मेहमान देव के स्वरुप होले…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Oct 21, 2010

आउर उ रूस गईले ,

आउर उ रूस गईले , संभावना हमेशा से बनल रहे , काहे की दिल बड़ा कमजोर होला , हल्का सा कडक बर्दास्त न करेला , मजाक में कहल गइल छोट बात , भी गड़…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Oct 20, 2010

पढ़ा के काम हम अच्छा कईनी ,

पालपोस के बड़का कईनी , हम इ गजब का कर देहनी , दहेज ज्वाला में जलत बनी , जनमते कहे ना मुआ देहनी , सोचनी बेटी आउर बेटा में , अब कवनो अंतर नइख…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Oct 15, 2010
Reply by आशीष यादव

गुरु जी के मान बतिया जीवन बदल जाई,

गुरु जी के मान बतिया जीवन बदल जाई, आज नाही बाबु दू चार साल बादे बुझाई , खायल रोज गुटका तुहू बाबु मन लगाइके , साझ ले तिस चालीस रूपया बिलवाइ…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Oct 12, 2010
Reply by Rajesh Kumar Singh

माता पूजे सांवरी सजनिया ( नवरात पर)

माता पूजे सांवरी सजनिया ( नवरात पर) रुन्नू झुन्नू बाजे पैजनिया - माता पूजे सांवरी सजनिया. रहिला ( चना ) के दाल भरल पुड़िया पकवली. गु ड़ के…

Started by satish mapatpuri

2 Oct 11, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

बबुआ हो तनी घूम जाईता ,

बबुआ हो तनी घूम जाईता , फोनवा पे का हम सुनाई , खपरा फूटल छान के बाटे , सोच कईसे हम बनवाई , चार साल से तू ना आईला , बहुआ के लेके जबे तू गईला…

Started by Rash Bihari Ravi

8 Oct 7, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

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मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
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मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
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मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
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" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
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Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
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मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
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मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
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मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
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