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आंचलिक साहित्य Discussions (18)

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छत्तीसगढी कुण्डलिया

मनखे काबर तैं करे, अइसन कोनो काम ।जगह जगह ला छेक के, अपन बिगाड़े धाम ।।अपन बिगाड़े धाम, कोन ला हे गा भाये ।चाकर रद्दा छोड़, कोलकी जउन बसाये…

Started by रमेश कुमार चौहान

0 Jul 13, 2015

अम्मा बबुरन माँ डिंडिंयाइब (अवधी लोक गीत )

हो अम्मा ! बबुरन  माँ डिंडिंयाइब I पै   मैय्या    तुमरे   पास  न  आइब I . बाबुल छूटा,  सखियाँ छूटी,  छूटे भाई -बहना I जाही को सौप्यों है मै…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

2 Aug 30, 2014
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

गली गली मोबाइल सचरा //

बलम कलकतिया //अबय भेजय चिठिया //भूल नहीं पाये पुरानी //ई रीतियाँ //बलम कलकतिया //अबय भेजय चिठिया //गली गली मोबाइल सचरा //कय के तरक्की देशवा…

Started by shambhu nath

0 Oct 30, 2013

छत्तीसगढ़ी गजल

छत्तीसगढ़ी गजल बहर -212 212 122 222 चार दिन के सगा घरोधिया होगे । मोर घर के मन ह, परबुधिया होगे । का जादू करंजस, अइसन होईस रे अपन समझेव,…

Started by रमेश कुमार चौहान

2 Oct 7, 2013
Reply by अरुण कुमार निगम

स्मार्ट लरिका

एक तौ मुहि मां भरे रहत, दुई पुडि़या जेबेम धरे रहत, औ सिगरेट धक-धक सुलगावत हैं। ती खुद का स्मार्ट कहत हैं।। कपड़न मइहां इतर का डारैं, औ घण्…

Started by Anil chaudhary "sameer"

0 Aug 1, 2013

राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।।

दुई लरिका से ज्यादा पैदा न करबे।। राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।। रतिया म अपने सैया का मनौबय।। राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।। महगा भ कपड़ा साबु…

Started by shambhu nath

3 May 23, 2013
Reply by बृजेश नीरज

चला चला रे सजनवा

चला चला रे सजनवा चला चला रे सजनवा अपने देसवा की ओरओहरे हमरे माई का घरवा संगी साथी और बजरवा सास ससुर ननद देवरवा भाई भतीजा मिल करें शोर चला च…

Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

0 Sep 26, 2012

रेल गाड़ी

रेल  गाड़ी देखा  देखा  रे  जवनवा  आ  गईले  मन  मोहिनिया  रेल इंजन  ईमा  लागल   विदेसी गावत  गीत  सदा  स्वदेसी  देस  नीत  माँ  सदा  इ  बहके…

Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

0 Sep 26, 2012

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Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
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Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
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"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
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Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
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pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
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मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
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मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
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Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
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