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बाल साहित्य Discussions (213)

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प्रॉमिस ( बालकथा )

" बेटा चीनू ! उठो, स्कूल का समय हो रहा है ।" " नहीं , सोने दो माँ ! मुझे नहीं जाना स्कुल-विस्कुल ।" " मेरे राजा बेटा, जिद नहीं करते ।स्कू…

Started by shashi bansal goyal

1 Jul 6, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

चन्दा - सूरज

चन्दा - सूरज -------------- माँ सूरज बाबा इतने लाल क्यों कह दो इनसे क्रोध ?अच्छी बात नही ताप से खुद भी जलते औरों को भी जलाते ताल तलैया खेती…

Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

0 Jul 5, 2015

सदस्य टीम प्रबंधन

चिड़िया की सीख (बाल-गीत) // --सौरभ

बच्चो आओ, तुम्हें बतायें - सीखी चिड़िया क्या बन्दर से ! किसी पेड़ पर चिड़िया का था एक घोंसला छोटा-सुन्दर चीं-चीं करते बच्चे उसके साफ-सफाई…

Started by Saurabh Pandey

12 Jul 2, 2015
Reply by Saurabh Pandey

शांति निकेतन का जंगल राज्य (बाल कथा)

नंदन वन के अरण्य में एक छोटा सा वन है- ‘शांति निकेतन’ यथा नाम तथा गुण। चारो तरफ शांति ही शांति। वहां का राजा था- बब्बर शेर जिसका नाम हरि ओम…

Started by Dr. Madhumati Namdeo

2 Jul 1, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

लाला जी की लाल लंगोट

लाला जी की लाल लंगोट मेंखटमल था एक लाल काट काट कर लाला जी को उसने किया बेहालगोल मटोल लाला जी गुस्से से हो गए लाल पीला चिल्ला कर पत्नी को आव…

Started by Neeraj Neer

0 May 5, 2015

लालटेन

लालटेन मेरी रात की साथी, जलती है इसमें एक बाती. घासलेट से जलती है ये, बङी ही प्यारी लगती हैं ये. इसकी रोशनी में पढ़ता हूँ, इसकी रोशनी में…

Started by shree suneel

0 Apr 9, 2015

मीठा पानी , मीठा पन , खारा पानी , खारा पन ,

मीठा पानी , मीठा पन , खारा पानी , खारा पन , पानी पानी भरा समुन्दर, फिर भी प्यासा रहा समुन्दर , खारा पानी , बड़ा समुन्दर , नदियां दौड़ी दौड़…

Started by Dr. Vijai Shanker

0 Feb 15, 2015

उसके मुखड़े पे तो ,एक अलग आस थी

एक सफ़र था मेरा , जिसमें वो साथ थी मैं अकेला था पर , वो बाप के साथ थीएक नवेली किरन ,खुद में थी वो मगनउसे देखकर देखो, झूमे धरती गगनवहां सब खा…

Started by maharshi tripathi

0 Dec 5, 2014

बालगीत

..........बालगीत ........... उछल पड़े जब  बंदर मामा भौचक्का  हैं  अपने नाना देख के   भागी  बूढ़ी ताई दांत निपोरे और ले अंगड़ाई बंटी डॉगी   भा…

Started by anand murthy

1 Nov 15, 2014
Reply by Shyam Narain Verma

स्‍वर आभूषण से सजते हैं हर व्‍यंजन

अ से अनार, आ से आम इ से इमली, ई से ईख ऐसे स्‍वर को सीख। उ से उल्‍लू, ऊ से ऊन ए से एक ऐ से ऐब शब्‍दों से भर लो तुम जेब।   ओ से ओखली औ से और…

Started by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul'

0 Oct 13, 2014

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Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
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