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#लावणी छन्द,पर्यायवाची शब्द याद करने का आसान उपायफूल,कुसुम या पुष्प,सुमन हो,चन्दन,मलयज,मलयोद्भव।आराधन,पूजा,उपासना,कृष्ण,मुरारी,मधु,माधव। कृपा,दया,अनुग्रह,करुणा की,चाह,कामना,अभिलाषा।अम्बा,द… Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
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Mar 13, 2023 Reply by अजय गुप्ता 'अजेय |
तब ही मंज़िल पाओगे |उठो पढ़ो नित नव उमंग से , आलस दूर भगा डालो | सुबह शाम करो याद मन से , रोज आदत बना डालो | मेहनत से कभी डरो नहीं , आगे कदम बढा… Started by Shyam Narain Verma |
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May 21, 2018 Reply by Shyam Narain Verma |
पढने चलो गुड़िया रानी ।रोना छोडो गुड़िया रानी । पढ़ने चलो छोड़ मनमानी । चलो उठाओ बस्ता अपना , करो ना कभी आनाकानी । चलो कदम बढ़ाओ आगे , बढ़ते जाओ सीना तानी । ग… Started by Shyam Narain Verma |
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Mar 13, 2016 Reply by सतविन्द्र कुमार राणा |
लालटेनलालटेन मेरी रात की साथी, जलती है इसमें एक बाती. घासलेट से जलती है ये, बङी ही प्यारी लगती हैं ये. इसकी रोशनी में पढ़ता हूँ, इसकी रोशनी में… Started by shree suneel |
0 | Apr 9, 2015 |
उसके मुखड़े पे तो ,एक अलग आस थीएक सफ़र था मेरा , जिसमें वो साथ थी मैं अकेला था पर , वो बाप के साथ थीएक नवेली किरन ,खुद में थी वो मगनउसे देखकर देखो, झूमे धरती गगनवहां सब खा… Started by maharshi tripathi |
0 | Dec 5, 2014 |
झगड़ा है बेकार |काम क्रोध मद लोभ पर , जब ना लगे लगाम | बिना विचारे जो करे , क्षण में बिगड़े काम | रघुवन में वट वृक्ष विशाला | ताहि समीप बहे लघु नाला | न… Started by Shyam Narain Verma |
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Jan 17, 2014 Reply by Shyam Narain Verma |
बूझो तो जाने (कविता )बूझो तो जाने .... टिक- टिक ,टिक- टिक करती चलते चलते कभी न थकती दिन भर करती काम लेती न एक दाम बूझो तो कौन ......... ? एक बार लगाओ अग… Started by annapurna bajpai |
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Jan 17, 2014 Reply by Saurabh Pandey |
परोपकार |जंगल में जा लकड़ी चुनता , सिर पर रख जाता बाज़ार | सर्दी गरमी या बारिश हो , लकड़ी बेच चले परिवार | एक दिन गया जब जंगल में , वह देखा गज शिश… Started by Shyam Narain Verma |
0 | Jun 13, 2013 |
चिड़िया रानी...(बाल कविता)चिड़िया रानी बड़ी सयानीदाना चुगने आई है,प्यारे-प्यारे रंग कईसाथ में अपने लाई है| आओ बच्चों तुम भी देखोइसकी कारगुजारी,भोली आँखें, मासूम चेहर… Started by कुमार गौरव अजीतेन्दु |
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Jul 18, 2012 Reply by Dr.Prachi Singh |
आओ बच्चों खेलें खेलआओ बच्चों खेलें खेल दोस्तों,इस बाल कविता पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ| आओ बच्चों खेलें खेल चलो बनायें मिलकर रेल| रामू तुम इंजन बन जान… Started by dr a kirtivardhan |
0 | May 6, 2011 |
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