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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Discussions (5,159)

Discussions Replied To (4294) Replies Latest Activity

"जिस्म के बेचैन साकिन के लिएये ग़ज़ल है मेरे बातिन के लिए . क्या कहने उनके होंठों पर भी…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ग़म की काली रात आजाएगी फिरचाँदनी है चार ही दिन के लियेज़िन्दगी ने तोड़ दीं सारी हदेंक्य…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"वक्फ़ कर दी हमने मोहसिन के लियेज़िन्दगी पाई जो दो दिन के लियेग़म की दौलत साथ देगी उम्र…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"पार दरिया के उतरना था हमें            कश्तियों को बेच कर तिनके लियेवो इधर से गर नहीं…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत खूब"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 27, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मुश्किलें हर ओर मोमिन के लिएरास्ते  आसान   खाइन  के  लिए मौज  है  घुसपैठियों  की देश…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 27, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य कार्यकारिणी

"आदरणीय मंच संचालक महोदय श्री मिथिलेश वामनकर जी , ओ.बी.ओ लाइव महा उत्सवष् अंक.67 के स…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 15, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-67 की स्वीकृत रचनाओं का संकलन

19 Jan 25, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आ0 भाई सतविंदर जी , इस उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार l एक दोहा इस प्रस्तुति में श…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 14, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-67

620 May 15, 2016
Reply by Samar kabeer

"आ0 भाई गोपाल नारायन जी अभिवादन । सुंदर गीत रचा है हार्दिक बधाई स्वीकारें ।"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 14, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-67

620 May 15, 2016
Reply by Samar kabeer

"आ0 भाई अशोक कुमार जी, प्रदत्त विषय पर बेहतरीन संदेश दते इस छंद गीत के लिए हार्दिक बध…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 14, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-67

620 May 15, 2016
Reply by Samar kabeer

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

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"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
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"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
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"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
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