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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Discussions (5,159)

Discussions Replied To (4294) Replies Latest Activity

"आ0 भाई गिरिराज जी बेहतरीन गजल हुई है । किसी एक शेर का उल्लेख करना गजल को कमतर आंकना…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied Jun 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-72

782 Jun 26, 2016
Reply by Nilesh Shevgaonkar

"बाहें गले में डाल के कुछ यूं मिला रकीबजैसे कि कोई नाग बदन से लिपट गयाआ0 भाई गुलशन जी…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied Jun 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-72

782 Jun 26, 2016
Reply by Nilesh Shevgaonkar

"जलती चिता ये कह पडी जीवन को देख कर,“कैसा था वो पहाड़ जो रस्ते से हट गया”. लिखने गया ज…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied Jun 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-72

782 Jun 26, 2016
Reply by Nilesh Shevgaonkar

"मत कह वफा की राह से साया भी हट गया घबरा के तम से यार वो तुझमें सिमट गया।1। हैरत हूँ…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied Jun 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-72

782 Jun 26, 2016
Reply by Nilesh Shevgaonkar

"बहुत खूब हार्दिक बधाई l"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"हार्दिक बधाई "

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत खूब"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मर मिटे इस ग़ज़ल पर तो ..........बार बार पढने का बरबस मन कर रहा है भाई मिथिलेश जी . को…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बुझ   गए   हैं  चाँद सब अब रात के धड़कनें   बेताब   हैं   किन  के लिए क्या कहने ....…"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"इक से बढ़कर एक रुखसत हो गए हम अगर रोएँ तो किन-किन के लिए बहुत खूब l"

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied May 28, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-71

1049 May 28, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

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हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
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