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प्रदीप नील वसिष्ठ's Discussions (274)

Discussions Replied To (273) Replies Latest Activity

"कमाल प्रतिभा जी।  आपकी लेखनी को नमन । आपकी दोनों रचनाएं पढ़ कर शिवानी और शरत चंद्र चट…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Apr 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

1100 May 1, 2017
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"प्रिय भाई, आज फिर आप पर गर्व महसूस हो रहा है। समसामयिक विषय पर लिखना आसान काम नहीं ह…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Apr 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

1100 May 1, 2017
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"आदरणीय , संवादों के माध्यम से कथा का बहुत बड़ा हिस्सा कहना तलवार की धार पर चलना होता…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Apr 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

1100 May 1, 2017
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"आदरणीय , आपकी दोनों रचनाएं पढ़ कर मुझे लगता है आप लिखना सीख रहे हैं। कीजिए खूब प्रयास…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Apr 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

1100 May 1, 2017
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"आज नकारात्मक सुर लिए कथाओं ( विशेष कर लघु कथाओं) के इस शोर में आपकी सकारात्मक दृष्टि…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Apr 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

1100 May 1, 2017
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"बहुत ही खूब ! सावन के अंधे को हरा ही तो सूझना था।  कोढ़ में खाज यह कि सत्यार्थी जी को…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Apr 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

1100 May 1, 2017
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"कुर्ते की जेब . पिछले तीन सालों में ऐसी अनहोनी तो कभी नहीं हुई थी । राम दुलारे जी ने…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Apr 29, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-25 (रजत जयंती)

1100 May 1, 2017
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"प्रिय बागी जी , पतंग , डोर और आवारा हवा के माध्यम से लघुकथा रची जा सकती है , मानवीय…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied May 31, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-14 (विषय: षडयंत्र)

1207 Jun 1, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"परम आदरणीय यह आपका प्यार बोल रहा है , आप नहीं बोल रहे। आप जैसे पाएदार शायर का मुझे ज…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied May 31, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-14 (विषय: षडयंत्र)

1207 Jun 1, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

" यानि घी का हलवा था शीर्षक ?"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied May 31, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-14 (विषय: षडयंत्र)

1207 Jun 1, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
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दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
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"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
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मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
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Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
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