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DEEP ZIRVI's Discussions (28)

Discussions Replied To (22) Replies Latest Activity

"आप का क्या विचार है हम और आप ख़ुद को जो आम आदमी कहते हैं , क्या सच में आम आदमी हैं ?…"

DEEP ZIRVI replied Dec 8, 2010 to हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...

12 Dec 8, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

"बाद मुद्दत के दिल ऊहापोह से निकल ही नही सका तो सोचा कि क्यों न लिख डाला जाये . दिल ब…"

DEEP ZIRVI replied Dec 8, 2010 to हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...

12 Dec 8, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

"मित्रो , गुलाबी सा मौसम है . लेकिन सोच के दायरे उलझे उलझे है . जनाब आप की सोच के नह…"

DEEP ZIRVI replied Dec 8, 2010 to हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...

12 Dec 8, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

"PG STEP KO HINDI MEIN YEHI KEHTAY HAI.. BHAAYI JAAN.. AAP KI TIPPNIAA TNKEED MERE KH…"

DEEP ZIRVI replied Dec 6, 2010 to हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...

12 Dec 8, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

"अपना और पराया मौन"

DEEP ZIRVI replied Dec 6, 2010 to हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...

12 Dec 8, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

"madan kumar tiwary JEE; PEHLA PG BOLNA HAI VO UTHA LIYA HUM NE AAGEY BHEE SUDHREINGA…"

DEEP ZIRVI replied Dec 6, 2010 to हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...

12 Dec 8, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

"dhnyawaad"

DEEP ZIRVI replied Dec 3, 2010 to हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...

12 Dec 8, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

मुख्य प्रबंधक

"बधाई"

DEEP ZIRVI replied Oct 12, 2010 to श्री योगराज प्रभाकर जी बने ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम के "प्रधान संपादक"

24 Oct 12, 2010
Reply by DEEP ZIRVI

प्रधान संपादक

"धन्यवाद,अपनी इस ओ बी ओ पर लगने के बाद कही भेजने प्र तो कोई आपत्ति न्हीं है? सूचित की…"

DEEP ZIRVI replied Oct 10, 2010 to OBO की प्रकाशन सम्बन्धी नियमावली ( ०१-१०-२०१० से प्रभावी )

39 Dec 14, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

"ग़ज़ल को ले कर अनेक भारांतिया हैं ; नवन्ग्तुक का सवाग्त किया जाना चाहिए; ग़ज़ल के धर…"

DEEP ZIRVI replied Oct 10, 2010 to गज़लशाला ( आप भी जाने कि ग़ज़ल कैसे कही जाती है )

50 Jan 18, 2011
Reply by Admin

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"कह-मुकरी * प्रश्न नया नित जुड़ता जाए। एक नहीं वह हल कर पाए। थक-हार गया वह खेल जुआ। क्या सखि साजन?…"
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"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
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