For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहबाब ऐतबार के काबिल नहीं रहे
ये कैसे सर हैं ..! दार के काबिल नहीं रहे

जज़्बात इफ्तेखार के काबिल नहीं रहे
अब नवजवान प्यार के काबिल नहीं रहे

हम बेरुखी का बोझ उठाने से रह गए
कंधे अब ऐसे बार के काबिल नहीं रहे

ज़ागो ज़गन तो खैर, तनफ्फुर के थे शिकार
बुलबुल भी लालाज़ार के काबिल नहीं रहे

पस्पाइयौं के दौर में यलगार क्या करें
कमज़ोर लोग वार के काबिल नहीं रहे

कांटे पिरो के लाये हैं अहबाब किस लिए
क्या हम गुलों के हार के काबिल नहीं रहे

रुसवाइयों की ज़र्ब की शिद्दत से हम अज़ीज़
खुद्दारियौं की मार के काबिल नहीं रहे

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Azeez Belgaumi on May 29, 2011 at 8:43am

Hamsheera Mohatarama Devi Sahiba.. Aadab.. Aap ke comments se baDi himmat afzaayee hoti hai. Aap ka bahut bahut shukriya. Isi taraha nawazte raheN.. Ishwar aap ko khush rakhhe.. Azeez Belgaumi

 

Comment by Devi Nangrani on May 29, 2011 at 8:35am
Azeez ji
Pighalta hua dard bhi siyahi ka kaam karta hai is ahsaas ko har ek lafz zahir kar raha hai. 
aaj Rumi ko pdha; Likha tha raat bhar jago, bahut sari ratein jago jab tak savera nahin hota. Andheron ko cheerkar Roushni apne aap ko zahir karti hai. Aapke aandaze bayan bahut hi umda aur margdarshak hai.
 

Comment by Azeez Belgaumi on May 28, 2011 at 11:07am
Bagi ji... Tajraba ke bajaye.. TABSARA paRheN.. regret the mistake : AZEEZ BELGAUMI
Comment by Azeez Belgaumi on May 27, 2011 at 10:52pm

SARA MISRA JI:

Aaap ki mohabbatouN ka shukriya Sara Misra ji

 

NEMICHAND JI:

Mohataram Nemichand ji bahut bahut shukriya….

BAGI SHB:

Dear bagi ji … aap ne mere kalam par baDa achha tajaraba kiya hai.. Badi khushi hasil huwi.. isi taraha nawazte raheN..

Comment by SARA MISRA on May 27, 2011 at 9:22pm
कांटे पिरो के लाये हैं अहबाब किस लिए क्या हम गुलों के हार के काबिल नहीं रहे !!! behatreen nazam  !!!
Comment by nemichandpuniyachandan on May 25, 2011 at 3:09pm
waah..waah..janaab Azeez belgaumi sahib,umda kalaam ke liye Mubarakbad,Paspaiyon ke dour men yalgaar kya kare,kamzor log waar ke kabil naheen rahe|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 25, 2011 at 10:12am

अज़ीज़ साहिब, आपको सुनना हमेशा ही सुखद रहा है, आपकी ग़ज़ल एक अलग ही कलेवर लिए होती है, प्रस्तुत ग़ज़ल में भी जिस खूबसूरती से हुस्ने मतला का प्रयोग किया गया है वो काबिले गौर एवं नए फनकारों के लिए सिखने योग्य है, बेरुखी का बोझ वाला शे'र बहुत ही खुबसूरत बन पड़ा है साथ में ..............

कांटे पिरो के लाये हैं अहबाब किस लिए
क्या हम गुलों के हार के काबिल नहीं रहे

आय हाय , क्या नजाकत है , वाह साहिब वाह , ये बुलंद अंदाज, बहुत खूब, पूरी ग़ज़ल की जान है यह शे'र,

यदि मकता की बात न किया जाय तो शायद बात अधूरी रह जाएगी, खुबसूरत मकता , ऐसा लगा कि शायर ने पूरी ग़ज़ल को निचोड़ कर उसका सत मकते के अन्दर डाल दिया है |

इस बेहतरीन और उम्द्दा प्रस्तुति पर दाद कुबूल कीजिये जनाब |  

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service