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जो  कहा,वो,कह न पाया हो गया 
शब्द का सब अर्थ जाया हो गया
 
आदमी अब इक अज़ब सी शै बना 
आज अपना कल पराया हो गया
 
बाप उस दिन दो गुना ऊंचा हुआ 
जब कभी बेटा सवाया हो गया
 
ज़िन्दगी दी और सिक्के पा लिए 
सब कमाया बिन कमाया हो गया
 
जब दिमागों की सड़न देखी गयी
आसमां तक बजबजाया हो गया
 
कल नये रंगरूट सा भर्ती हुआ
चार दिन में खेला खाया हो गया
 
अब खुदा वो वक़्त का कहलायेगा 
अब गज़ट में नाम शाया हो गया   

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Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 16, 2011 at 12:26am
abhaar vandana ji
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 15, 2011 at 12:08am
shukriya rana sahab

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on May 14, 2011 at 10:07am
वाह अश्विनी साहब वाह ...ख़ूबसूरत गज़ल ये शेर बरबस ही ध्यान आकृष्ट करते है

बाप उस दिन दो गुना ऊंचा हुआ
जब कभी बेटा सवाया हो गया

जब दिमागों की सड़न देखी गयी
आसमां तक बजबजाया हो गया

अब खुदा वो वक़्त का कहलायेगा
अब गज़ट में नाम शाया हो गया

ढेर सारी दाद कबूलिये|
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 13, 2011 at 10:52am
abhaari hun baagi ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2011 at 9:41am
बाप उस दिन दो गुना ऊंचा हुआ 
जब कभी बेटा सवाया हो गया
पूरी ग़ज़ल में सबसे खुबसूरत शे'र, बहुत ही बुलंद ख्याल, बेहतरीन ग़ज़ल पर दाद कुबूल कीजिये |

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