For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका छंद
[प्रत्येक पंक्ति 14-12 की यति से कुल 26 मात्रा होती है तथा प्रत्येक पंक्ति की तीसरी, दसवीं, सत्रह्वीं और चौबिसवीं मात्रा लघु ही होती हैं]

शारदे मां वर्ण-व्यंजन में प्रचुर आसक्ति दो।
शब्द-भावों में सहज रस-भक्ति की अभिव्यक्ति दो।।
प्रेम का उपहार नित संवेदना से सिक्त हो।
हर व्यथा-संघर्ष में भी क्रोध से मन रिक्त हो।।1

वृक्ष सा जीवन हमारा हो नदी सी भावना।
तृप्त ही करते रहें निश-दिन यही है कामना।।
आचरण में धर्म-सत्यम, कर्म में सदभावना।
जीव के प्रति त्याग हो जड़ से मिटे हर वासना।।2

शब्द की लयबद्ध सरगम तार सप्तक रागिनी।
विश्व में इक राग हो झंकार वीणा वादिनी।।
रंग संशय जाति का हर देश में प्रतिकार हो।
सत्य से परिचय करा मां इक लहू का सार हो।।3

द्वेष-हिंसा, काम-मत्सर हर हृदय से दूर हो।
बीज जैसा दृढ़ सृजन वट-वृक्ष सा भरपूर हो।।
दीन को अति हीन को घर-वस्त्र-भोजन, मान दो।
बुद्धि-मन से क्षुब्ध जन को शान्ति-सुख, रस-गान दो।।4

रचनाकार--- के0पी0 सत्यम /मौलिक व अप्रकाशित

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 4, 2015 at 8:48pm

आ0 शर्दिंदु सर जी, सादर प्रणाम! आपने सही मार्गदर्शन किया है.  ऐसा भी हो सकता है किंतु अर्थ एक ही होता है. आपका बहुत बहुत आभार.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 4, 2015 at 8:41pm
आ0 वामनकर भाईजी, सादर प्रणाम! आपका बहुत बहुत आभार.
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 4, 2015 at 2:40pm

वृक्ष सा जीवन हमारा हो नदी की भावना।       -   वृक्ष सा जीवन हमारा हो नदी सी भावना।
तृप्त ही करते रहें निश-दिन यही है कामना।।

सुंदर  और  भावपूर्ण  गीतिका छंद  रचना के लिए हार्दिक  बधाई  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on August 4, 2015 at 1:05pm
//...... क्रोध मन से रिक्त हो।।1//
या आप कहना चाहते हैं "क्रोध से मन रिक्त हो" ? कृपया देखिएगा. सादर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 3, 2015 at 12:37pm

आदरणीय केवल जी बहुत सुन्दर गीतिका छंद हुआ है तीनों पद बहुत सुन्दर है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
31 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service