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गजल - "एक तरफा प्यार की ये बेबसी मत पूछिये"

2122 2122 2122 212

एक तरफा प्यार की ये बेबसी मत पूछिये ।
रात दिन रहती है कैसी बेखुदी मत पूछिये ।

अब खुशी का साथ छूटे एक अरसा हो गया ,
किस कदर गम से हुयी है दोस्ती मत पूछिये ।

बोलती आँखेँ हैँ मेरी और लब खामोश हैँ ,
किस तरह आवाज दिल की है दबी मत पूछिये ।

लाख रोयेँ लाख तडपेँ पर भला किस से कहेँ ,
वो दिखायेँ हमको कैसी बेरुखी मत पूछिये ।

वाह वाही कीजिये गर दिल छुये मेरी गज़ल ,
कैसे हम करने लगे हैँ शायरी मत पूछिये ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज मिश्रा

Views: 1737

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 27, 2014 at 9:17pm

अब खुशी का साथ छूटे एक अरसा हो गया ,
किस कदर गम से हुयी है दोस्ती मत पूछिये ।---वाह्ह्ह  बहुत शानदार 

सभी शेर बढ़िया हैं 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल दाद कबूल फरमाएँ नीरज जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 27, 2014 at 9:04pm

वाह वाह, सभी अशआर खूबसूरत लगें, रदीफ़ बढ़िया लिया है, अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई नीरज जी।

Comment by Hari Prakash Dubey on November 27, 2014 at 5:39pm

अच्छा प्रयास है ..सुन्दर रचना नीरज मिश्रा जी ..हार्दिक बधाई 

Comment by maharshi tripathi on November 27, 2014 at 4:55pm

बहुत  बढ़िया ,,,आ. "प्रेम" जी |

 

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2014 at 4:41pm
बहुत बहुत आभार प्रकट करता हूँ आदरणीय प्रधान संपादक महोदय , तहे दिल से शुक्रिया ।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 12:51pm

बहुत खूब भाई नीरज मिश्रा प्रेम जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है।

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