For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अंकल, इस बार सामान के बिल में सौ-दो सौ रूपये जरा बढाकर लिख देना, आगे मैं समझ लूँगा"  रोहन ने दुकानदार से कहा.

"ऐसा ?.. पर बेटा, यह तो तुम्हारे घर की ही लिस्ट है न ?" दुकानदार को बहुत आश्चर्य हुआ.

"हाँ है तो. पर क्या है कि पापा आजकल पॉकेटमनी देने में बहुत आना-कानी करने लगे हैं.. " रोहन ने अपनी परेशानी बतायी.

(संशोधित)

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 1239

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 25, 2013 at 8:56pm

आपकी प्रतिक्रिया शिरोधार्य आदरणीय सौरभ जी, आपका बहुत बहुत आभार अपना स्नेहिल मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 25, 2013 at 8:03pm

कई-कई दौर् से गुजर चुकी इस प्रस्तुति में मान्य कसावट परिलक्षित है, जितेन्द्र भाई. आपकी संलग्नता और आपके सतत अभ्यास के लिए बहुत शुभकामनाएँ.

शुभेच्छाएँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 24, 2013 at 8:50am

आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया लेखनकर्म को मनोबल प्रदान करती है आदरणीय शिज्जू जी, अपना स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 24, 2013 at 8:48am

रचना पर आपके स्नेह व् सहयोग के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ आदरणीय राम भाई जी, अपना स्नेह युहीं बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 24, 2013 at 8:41am

आपने लघुकथा को पसंद किया आपका हृदय से आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 24, 2013 at 8:39am

आदरणीय अविनाश जी , आपकी प्रतिक्रिया //घर ही भ्रष्टाचार की  प्रथम प्रयोगशाला// से सन्देश पूर्ण स्पष्ट हो रहा है, आपकी पाठकधर्मिता हेतु हार्दिक आभार, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 24, 2013 at 8:33am

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया वंदना जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 21, 2013 at 10:19am

आदरणीय चंद्रशेखर जी, रचना पर आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से लेखनी का मनोबल दोगुना हो जाता है, अपना स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 21, 2013 at 10:19am
लघुकथा को आपका आशीर्वाद मिला, लेखन कर्म धन्य हुआ, आपका हृदय से आभार आदरणीय डा.गोपाल जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 21, 2013 at 10:12am

आदरणीय योगराज जी,  आपने अपनी व्यस्तता में से मुझे अनमोल समय दिया है आपका हृदय से आभारी हूँ

आपकी प्रतिक्रिया शिरोधार्य है,  ओ बी ओ साहित्यिक मंच पर मैंने बतौर पाठक के रूप में सदस्यता ली, शुरुआत में केवल सभी रचनाओं पर उनके भावपक्ष को समझकर अपनी सरल भाषा में प्रतिक्रिया देता रहा, अपनी व्यस्तता में से ज्यादा से ज्यादा समय ओ बी ओ पर सक्रियता बनाये रखी, मैंने सपने में भी कभी यह नहीं सोचा था कि कुछ लिख भी पाउँगा, न ही मुझे शब्दों का ज्ञान था, दिनभर अपनी फील्ड में  मजदूरों, किसानो, सरकारी दफ्तरों, या सामाजिक कार्यक्रमों से जो कुछ भी लेखन  के लिए मिलता उसे ओ बी ओ पर साझा करने की कोशिश करता रहा हूँ, यहाँ पर सभी मित्रों व् शुभचिंतकों से बहुत ही स्नेह व् अपनापन मिला, यहाँ सभी अपने परिवार व् अपने दैनिक कार्यों के पश्चात् अपना समय यहाँओ बी ओ पर देते है, उनके दिनभर की भागमभाग से परेशान रहते है, किसी को कहीं ठेस न पहुंचे इन्ही बातों को ध्यान में रखकर उनके मार्गदर्शन की प्रतीक्षा धैर्य व् सम्मान से पाना मैंने बेहतर समझा है, आज जो भी लिख पा रहा हूँ केवल ओ बी ओ परिवार के सानिध्य व् अपनेपन के कारण ही. कृपया आप मेरी भावुकता को अन्यथा न लीजियेगा, आज अपने अन्तर का सच बयां कर मैं बहुत सुकून महसूस कर रहा हूँ, आप अपना स्नेह ,मार्गदर्शन व् आशीर्वाद हमेशा बनाये रखियेगा

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service