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अजान सुन हामिद की नींद खुली, उसे याद आया कि उसके मालिक ने आज रात वध हेतु एक गाय लाने को कहा है. हामिद मालिक से पैसे ले बाजार से गाय खरीदकर आ रहा था. रास्ते में हामिद कभी गाय को पानी पिलाता तो कभी हरी घास खिलाता । गाय को बृक्ष की छाया में बांध खुद भी आराम करने लगा .थके होने के वजह से  उसकी आँख  लग गयी. अचानक आँख खुलने पर वह घबरा कर गाय ढूंढने लगा, तभी उसकी नजर मंदिर के अहाते में गाय पर पड़ी. वह गाय को मंदिर से निकालकर ले जाना चाहता था. लेकिन मंदिर के लोग इसे नन्दी कहकर विरोध कर रहे थे. बात गाँव में आग की तरह  फ़ैल गयी. हामिद के मालिक भी अपने आदमियों के साथ मंदिर के पास पहूँचकर गाय अपने हवाले करने को कह रहे थे  . माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया. गाय चुपचाप हामिद को देख रही थी. तभी हामिद बीच में जाकर मालिक का पैर पकड़ गिडगिडाकर कहा कि मालिक मैंने गाय खरीदी ही नहीं है. मेरे पैसे तो रास्ते में ही गिर गए थे .

.
मौलिक और अप्रकाशित 
........शुभ्रा शर्मा 'शुभ ' 

Views: 926

Comment

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Comment by Saarthi Baidyanath on December 28, 2013 at 1:41pm

बहुत बढ़िया व सफल लघु कथा 

Comment by shubhra sharma on August 12, 2013 at 1:04pm

आदरणीय सौरव पाण्डेय जी , आपके उत्साह्बर्धन रूपी अभिव्यक्ति का इंतज़ार था , बहुत बहुत आभार 

Comment by shubhra sharma on August 12, 2013 at 1:01pm

आदरणीया गीतिका  जी , सराहना और प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत  आभार  

Comment by shubhra sharma on August 12, 2013 at 12:58pm

आदरणीया वसुन्धरा जी , प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 2:07pm

ऐसा कहना ही दिलासा दे गया. 

शुभकामनाएँ

Comment by वेदिका on August 8, 2013 at 4:40pm

गाय चुपचाप हामिद को देख रही थी..... मर्म को छूने लेने वाली सशक्त पंक्ति !!

बधाई आदरणीया शुभ्रा जी !! 

Comment by Vasundhara pandey on August 7, 2013 at 2:31pm

दिल को छू जाने वाली लघु कथा...बधाई शुभ्रा जी !!

Comment by shubhra sharma on August 6, 2013 at 10:40am

आदरणीय अमन जी ,मेरी लघु-कथा की सराहना के लिए धन्यवाद 

Comment by aman kumar on August 5, 2013 at 2:21pm

मैंने आपकी ये पहली रचना पड़ी है |

सच मे  आपकी लघु कथा मानव मन की सच्ची दुविधा दर्शा गयी !

आपकी लेखी सफल है

आभार  

Comment by shubhra sharma on August 4, 2013 at 9:54pm

आदरणीय नीरज  जी , बहुत बहुत धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

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